कुरुक्षेत्र को स्वच्छ, सुन्दर बनाने हेतु सभी एकत्रित होकर समर्पण भाव से कार्य करें : वी. भगैय्या

हरियाणा संपादक वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘‘धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के आध्यात्मिक विकास में सामाजिक संगठनों की भूमिका’’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन।

कुरुक्षेत्र, 30 सितंबर – आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में दिव्य कुरुक्षेत्र मिशन द्वारा विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में ‘‘धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के आध्यात्मिक विकास में सामाजिक संगठनों की भूमिका’’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें नगर की सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक संस्थाओं के साथ-साथ नगर के प्रमुख बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्यातिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य वी.भगैय्या रहे। मंचासीन अतिथियों में पूर्व उपायुक्त डॉ. रामभक्त लांग्यान, मातृभूमि सेवा मिशन के संयोजक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्रा, प्रख्यात उद्योगपति जयभगवान सिंगला रहे। कार्यक्रम में मंच संचालन दिव्य कुरुक्षेत्र मिशन के सचिव डॉ. प्रीतम सिंह ने किया। आभार अभिव्यक्ति मिशन के उपाध्यक्ष एवं विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने दी।
कार्यक्रम में श्री वी. भगैय्या ने कहा कि समाज में परस्पर वातावरण का निर्माण करना हम सबका कर्तव्य है। आज समाज में वैमनस्य का वातावरण है। इसे एकत्रित होकर ही दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिव्य कुरुक्षेत्र मिशन द्वारा कुरुक्षेत्र को स्वच्छ, सुन्दर बनाने का संकल्प लेना प्रशंसनीय कार्य है लेकिन यह तभी संभव है जब सब समाज एकत्रित होकर समर्पण भाव से कार्य करे। इसके लिए आवश्यक है कि हर बस्ती, मोहल्ले, वार्ड में 20-25 लोगों का ग्रुप बनाकर अपने-अपने क्षेत्र के बारे में सोचना और उसका निदान करने के लिए कार्य करना। ध्येय के लिए समर्पित होना अत्यंत आवश्यक है। जिस प्रकार 1, 1 और 1 जोड़ें तो 3 होते हैं उसी प्रकार अच्छे कार्य के लिए समर्पित हों तो यही 111 बन जाते हैं। उन्होंने ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’’ की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि हमारे आसपास के लोग सुख से रहें इसके लिए हम सबको चिंता करनी होगी। परिवर्तन प्रेम से आता है। गंदगी कहीं होती है तो नाराज होने से नहीं हटेगी अपितु प्रेमपूर्वक इसके निदान के लिए कार्य करने से होगी। सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। आज हमें आदत बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए आत्मीयता चाहिए। सभी लोगों को कुरुक्षेत्र को स्वच्छ बनाने क ेलिए अभियान चलाना चाहिए।
श्री भगैय्या ने पेड़ लगाना, घर को प्लास्टिक मुक्त बनाना और पानी बचाना इन तीन चीजों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने को कहा। इसके लिए माताओं-बहिनों का सहयोग अत्यंत आवश्यक रहेगा। उन्होंने कहा कि अपने लिए तो सब करते हैं लेकिन सभी को अपने दैनन्दिन जीवन में समाज के लिए सहयोग अवश्य देना चाहिए। उन्होंने कर्तव्यपरायणता का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों का मानक बढ़ना चाहिए। इसके किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। ज्ञान किसी परिवार अथवा जाति की सम्पत्ति नहीं है। इस हेतु अवसर देना हमारा दायित्व है। सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों के मानक बढ़ाना चाहिए। आज परिवार में परिवार प्रबोधन की अत्यंत आवश्यकता है। प्रेम और दायित्व के साथ हमें ऐसे अनेक कार्य शुरू करने चाहिए। इस अवसर पर डॉ. रामभक्त लांग्यान ने कहा कि आज नैतिकता गिरती जा रही है। आध्यात्मिकता का प्रचार कम हो रहा है। सत्संग की कमी हो गई है। इसके लिए प्रचार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सारा समाज कदम से कदम मिलाएगा तो चुनौतियों पर काबू पाया जा सकता है। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्रा ने कहा कि कुरुक्षेत्र सुन्दर एवं स्वच्छ कैसे बने, इसकी पुनः प्रतिष्ठा कैसे कायम हो, दिव्य कुरुक्षेत्र मिशन सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र के सहयोग से इस कार्य में पुरजोर तरीके से लगा हुआ है। कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र को श्रेष्ठ बनाने में हम अपनी भूमिका कैसे निभाएं, इस पर उपस्थित बुद्धिजीवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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