सूचना के समंदर में तैरना है, डूबना नहीं है : प्रो आर्ट।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मीडिया लिटरेसी हर नागरिक के लिए जरूरी है।
कुवि के मीडिया प्रौद्योगिकी एवं जनसंचार संस्थान द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 30 अक्टूबर :- अमेरिका की वेबस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमिरेटस, डॉ. आर्ट सिलवर बलैट ने कहा झूठी सूचनाएं देने वाले स्रोतों को हर वक्त कोसने से कोई हल नहीं निकलता, जबकि झूठी खबरों से आहत् ज्यादातर लोग यह सोचते है कि सूचना भेजने वालों को कोसकर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभा ली। एक तरह से यह पूरी तरह निर्थक सी बात लगती हैं क्योंकि इस डिजिटल युग में सूचना देने वाले हर स्रोत पर नजर रखना बहुत मुश्किल है। प्रो. आर्ट कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मीडिया प्रौद्योगिकी एवं जनसंचार संस्थान द्वारा मनाए जा रहे मीडिया व इन्फोर्मेशन लिटरेसी सप्ताह के अंतर्गत ऑनलाइन व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि सूचना ग्रहण करने वाले लोग उनका विश्लेषण करना सीखें। यानी सच और झूठ को पहचानने की कला जाने। यह कला आएगी मीडिया और सूचना लिटरेसी की शिक्षा ग्रहण करके। संसार में सूचनाओं में जो घालमेल हो रहा है, जो वैचारिक प्रदूषण पूरे संसार में बढ़ रहा है, उसके लिए मीडिया लिटरेसी का नूतन विज्ञान सबको पढ़ाया जाना चाहिए। यहां तक कि कम पढ़े लिखे लोगों को अनौपारिक शिक्षा के माध्यम से उनके एक्सपोजर के अनुसार मीडिया लिटरेटसी पढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि सूचनाएं और समाचार जरूरत ग्रहण करें लेकिन सूचना के समंदर में डूबना नहीं, तैरना सीखना है।
उल्लेखनीय है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का अमुक संस्थान यूनेस्को द्वारा पूरे संसार में मनाए जा रहे मीडिया लिटरेसी सप्ताह के दृष्टिगत यह आयेजन कर रहा है ताकि लोगों को झूठी सूचनाओं को समझने की कला सिखाई जा सके।
कार्यक्रम के अन्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार रमेश विनायक ने कहा कि यह ऐसा दौर है जिसमें चौबीस घंटे न्यूज की चर्चा है। इस दौर में जरूरी है कि आप सूचनाओं को दोहरा चौकन्ना होकर अपनाएं। सूचनाओं पर तुरन्त भरोसा करने की बजाए उनकी पुष्टि करो कि यह किस सीमा तक सत्य हैं।
इस अवसर पर प्राचीन भारतीय विद्याओं के विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष अंगीरस ने प्रतिभागियों को प्राचीन भारतीय शास्त्रों के माध्यम से सूचनाओं का विश्लेषण करने करने का प्रशिक्षण दिया। प्रो. अंगीरस ने कि यह विडंबना है कि अभी तक हमारे पास ज्ञान के नाम पर जो प्रचलित है, वो पश्चिम से आया है। पश्चिम से आए ज्ञान को अपनाने में समस्या नहीं है। समस्या यह है कि हम अपनी भारतीय थ्योरी को न जानते हैं न पहचानते हैं।
इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. बिंदु शर्मा ने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान भारत में मीडिया लिटरेसी के प्रचार प्रसार को लेकर जो सुझाव आए हैं, निश्चित रूप से उससे भारत में मीडिया लिटरेसी को स्थापित करने का एक प्रतिमान हमारे सामने आया है।