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देहरादून: प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड की वादियों में पर्यटक आने वाले दिनों में नए अनुभव का अहसास कर सकेंगे। सरकार ने राज्य में कैरावैन को प्रोत्साहित करने की ठानी है। कैरावैन, यानी चलते-फिरते घर जैसा वाहन। सैलानी इससे न केवल पर्यटक स्थलों की सैर करेंगे, बल्कि उनके ठहरने की व्यवस्था भी इसी में होगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों पर कैरावैन पार्क भी बनाए जाएंगे। इनमें कैरावैन को पानी, बिजली, सीवरेज जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पार्कों में पर्यटकों के लिए रेंस्टोरेंट आदि की सुविधा भी रहेगी।
हर साल सामान्य परिस्थितियों में आते हैं साढ़े तीन करोड़ सैलानी
उत्तराखंड की वादियां हमेशा से ही सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रही हैं। हर साल सामान्य परिस्थितियों में साढ़े तीन करोड़ सैलानी यहां आते हैं। अब सरकार ने जिस तरह से पर्यटन विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, उससे आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होनी तय है। इसी के हिसाब से सैलानियों के लिए सुविधाएं जुटाने के साथ ही नई पहल भी की जा रही हैं।
कैरावैन इसी कड़ी का हिस्सा है। गढ़वाल मंडल विकास निगम की पहल पर दो वातानुकूलित बसों को कैरावैन में बदला गया है। लैंसडौन में इस प्रयोग के सार्थक परिणाम आए हैं। इससे उत्साहित सरकार अब कैरावैन को अधिक प्रोत्साहित करने जा रही है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि कैरावैन को आठ से 10 व्यक्तियों के रहने के हिसाब से विकसित किया जाएगा। निजी क्षेत्र को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सब्सिडी आदि पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कैरावैन के लिए सभी प्रमुख स्थलों पर कैरावैन पार्क बनाने का निश्चय किया गया है।
ये पार्क ऐसे स्थान पर बनाए जाएंगे, जहां पानी, बिजली, सीवरेज समेत सभी आवश्यक सुविधाएं होंगी। कैरावैन के वहां रुकने पर ये सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही कैरावैन पार्क में रेस्टोरेंट की सुविधा भी रहेगी। इससे कैरावैन में रहने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन विकास से जुड़ी योजनाओं में सब्सिडी उद्योग की बजाय पर्यटन विभाग से देने पर विचार चल रहा है। बीते दिवस पर्यटन विभाग की ओर से देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में कुछ पर्यटन व्यवसायियों ने यह विषय उठाया था।
दरअसल, सरकार ने पूर्व में पर्यटन की उद्योग का दर्जा दिया था। ऐसे में पर्यटन योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी अब उद्योग विभाग के माध्यम से दी जा रही है। इससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को दोनों विभागों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।