हर्षिल-छितकुल ट्रैक हादसे की आपबीती बताते रो पड़े ट्रैकर और गाइड,

उत्तरकाशी: हर्षिल-छितकुल ट्रैक पर ट्रैकिंग दल के साथ घटा हादसा बेहद दर्दनाक है। यही वजह है कि इस हादसे में जिंदा बचे ट्रैकर मिथुन दारी और गाइड देवेंद्र सिंह चौहान आपबीती सुनाते हुए फफक-फफककर रो पड़े। बोले, मौसम की दुश्वारियां तो इस हादसे की वजह बनी ही, पोर्टर की भूमिका भी इसमें संदिग्ध रही। इस कारण सात ट्रैकर काल के गाल में समा गए और दो अभी लापता हैं।

उत्तरकाशी स्थित जिला अस्पताल में भर्ती मिथुन दारी (निवासी विष्णुपुर, नेपालगंज, साउथ 24 परगना, बंगाल) बताते हैं कि 17 अक्टूबर को सुबह छह बजे वे लम्खागा के बेस कैंप से निकले। दोपहर 11.30 बजे जब लम्खागा पास पार कर रहे थे, तभी भारी बर्फबारी शुरू हो गई। वहां से आठ किमी की दूरी पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की छितकुल पोस्ट थी। उम्मीद थी कि बर्फबारी के बीच वे छितकुल पहुंच जाएंगे, लेकिन साथी सुभियान दास फिसलकर उनके ऊपर आ गिरा। इससे उनके पांव में गंभीर चोट आ गई और फिर वे चल नहीं पाए।

बताया कि इसके बाद उनका दूसरा साथी विकास मैकल भी फिसलकर गंभीर रूप से चोटिल हो गया। अन्य साथियों ने पास ही में एक टेंट लगाया, जिसमें उनके साथ विकास मैकल भी था। उसी शाम विकास की मौत हो गई। ऐसे में पोर्टर भी राशन और टेंट लेकर वहां से भाग निकले। मिथुन दारी ने बताया कि 18 अक्टूबर की सुबह बर्फबारी के बीच उनके छह साथी और दो रसोइया छितकुल की ओर यह कहकर निकले कि वे आइटीबीपी से उन्हें निकालने के लिए मदद मांगेंगे।

वे बर्फबारी के बीच ही आगे बढ़ते रहे। इसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया। बताया कि टेंट में उनकी देखरेख के लिए गाइड देंवेंद्र सिंह थे, इसलिए उनकी जान बच पाई। देवेंद्र सिंह बताते हैं कि पोर्टर रसद और टेंट लेकर भाग निकले थे। उनके पास अब खजूर का एक पैकेट और चाकलेट बची थी, जिसके सहारे वह जिंदा रहे। इस दौरान उन्हें पानी भी नसीब नहीं हुआ। 20 सितंबर को उन्हें एक हेलीकाप्टर नजर आया, जिससे उम्मीद जगी कि कोई उन्हें बचाने के लिए आया है। काफी देर तक उन्होंने हेली की ओर हाथ भी हिलाया, लेकिन हेली में बैठे व्यक्ति उन्हें देख नहीं पाए। फिर 21 अक्टूबर को हेली के जरिये रेस्क्यू टीम उन तक पहुंच पाई।

पर्यटक मिथुन दारी ने कहा कि इन दिनों बंगाल में दुर्गा पूजा की छुट्टियां रहती हैं। इसलिए वे छह साथियों के साथ हर्षिल-छितकुल की ट्रैकिंग पर आए थे। बीते वर्षों में उन्होंने साथियों के साथ हरकीदून, बल्लीपास समेत कई ट्रैक पर ट्रैकिंग की। ट्रैकिंग एजेंसी के जरिये दिल्ली की एक महिला ट्रैकर भी उनके साथ शामिल हुई। सभी के अपने-अपने व्यवसाय थे। सिर्फ वे ही ब्लाक में डाटा आपरेटर के पद पर तैनात हैं।

Read Article

Share Post

uttarakhand reporter

साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उत्तराखंड: 24 अक्टूबर को बनाया जाएगा करवा चौथ, जानिए शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय!

Sat Oct 23 , 2021
सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। करवाचौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं 16 शृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद किया जाता है। […]

You May Like

advertisement