दस्तक अभियान में इस बार खोजे जा रहे क्षय रोगी
देश को वर्ष 2025 तक टी.बी.मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए जिले में पहली बार दस्तक अभियान के तहत घर-घर टीबी रोगियों को भी खोजा जा रहा है | 10 मार्च से शुरू किया गया यह अभियान 24 मार्च तक चलेगा। अभियान के तहत पिछले एक सप्ताह में 4 नये क्षय रोगियों को चिन्हित किया गया है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा.जे.जे.राम ने दी। जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि देश को टी.बी.मुक्त बनाने का संकल्प हम तभी पूरा कर पायेंगे जब टी.बी.रोगियों को खोजकर उनका पूरा इलाज सुनिश्चित कर सकें। इसी उद्देश्य से पहली बार टी.बी.रोगियों को खोजने की जिम्मेदारी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकताओं को भी दी गई, जिसका असर भी दिखने लगा हैं। 10 मार्च से जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक साथ चलाये गए इस अभियान में पिछले एक सप्ताह में 90 संभावित लोगों के सैम्पल लिए गये जिसमें 4 व्यक्ति ऐसे मिले हैं। जिनमें क्षय रोग की पुष्टि हुई। इन लोगों के इलाज की प्रक्रिया के साथ ही निक्षय पोर्टल पर पोषण भत्ते की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है । जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि इस दौरान कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सभी जरूरी एहतियात भी बरते जा रहे हैं | इसके अलावा टीम द्वारा आमजन से भी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जरूरी शारीरिक दूरी का पालन व मास्क का प्रयोग करने को कहा गया । वह बताते हैं कि टीबी रोग असाध्य नहीं है। जागरूकता के अभाव में लोग घबरा जाते हैं, लेकिन टीबी का उपचार आसानी से संभव है। इलाज कराने से रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है। यदि किसी को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी और उसके साथ खून आता हो और शाम को बुखार चढ़ जाता हो, सीने में दर्द एवं भूख न लगती हो और वजन घटता हो तो टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे में रोगी को टीबी की जांच करानी चाहिए जांच की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध है। बचाव कैसे करें?
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) से टीबी के बैक्टीरिया के एक्टिव होने की गुंजाइश ज्यादा होती है | दरअसल, टीबी का बैक्टीरिया कई बार शरीर में होता है लेकिन अच्छी इम्युनिटी से यह एक्टिव नहीं हो पाता और टीबी नहीं होती। मरीज स्प्लिट एसी से परहेज करे क्योंकि तब बैक्टीरिया अंदर ही घूमता रहेगा और दूसरों को बीमार करेगा । – मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए। मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को नैपकिन से कवर कर लेना चाहिए। इस नैपकिन को कवर वाले डस्टबिन में डालें। ध्यान रखना चाहिए कि मरीज यहां-वहां थूके नहीं। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। मरीज ऑफिस, स्कूल, मॉल जैसी भीड़ भरी जगहों पर जाने से परहेज करें ।