यूपी की सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली (पीडीएस) अब पूरी तरह से पारदर्शी हो गई है. यूपी (UP) देश में पहला राज्य बन गया गया है जहां पर 99 फीसदी से अधिक लाभार्थियों को बायोमेट्रिक पहचान के जरिए राशन मिलने लगा है.
वैशवारा न्यूज नेटवर्क लखनऊ:
खाद्यान्न बांटने के मामले में कभी सबसे ज्यादा घपलों के लिए जाना जाने वाला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) अब इस मामले में पूरी तरह दुरुस्त और पारदर्शी हो गया है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शी बायोमेट्रिक तरीके (Biometric methods) से 99 फीसदी से ज्यादा खाद्यान्न वितरण कर प्रदेश सरकार ने कीर्तिमान बनाया है.
खाद्यान्न वितरण प्रणाली पूरी तरह पारदर्शी
यूपी की सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली (पीडीएस) अब पूरी तरह से पारदर्शी हो गई है. यूपी (UP) देश में पहला राज्य बन गया गया है जहां पर 99 फीसदी से अधिक लाभार्थियों को बायोमेट्रिक पहचान के जरिए राशन (Ration) मिलने लगा है.
14.60 करोड़ लाभार्थियों को सौ फीसदी पारदर्शी डिजिटल प्रोसेस के जरिए अनाज
राशन वितरण प्रणाली को दुरुस्त बनाने में उत्तर प्रदेश की कामयाबी की कहानी आश्चर्यजनक लगती है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (एनएफएसए) के तहत पीडीएस के 14.60 करोड़ लाभार्थियों को 100 फीसद पारदर्शी डिजिटल प्रोसेस के जरिए अनाज मिलने लगा है.
दो लाख करोड़ रुपये खर्च करती है केंद्र सरकार
रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी बायोमेट्रिक पहचान के जरिए करीब 99 फीसदी लाभार्थियों को राशन मिलने लगा है. मोदी सरकार एनएफएसए (NFSA) के लाभार्थियों को सस्ती दरों पर राशन मुहैया करवाने के लिए हर साल करीब दो लाख करोड़ रुपये खर्च करती है.
भ्रष्टाचार और घपलों के मामलों की लिस्ट में पहले स्थान पर था यूपी
उत्तर प्रदेश 2019 तक पीडीएस से जुड़े भ्रष्टाचार और घपलों के मामलों की लिस्ट में पहले स्थान पर था जहां 328 मामले थे जबकि इस फेहरिस्त में दूसरे नंबर पर बिहार में 108 मामले थे.