उत्तराखंड:बाणगंगा ने तोड़ा तटबंध, तेज बहाव में फंसे 57 लोग को बचाया, 12 हजार कृषि भूमि जलमग्न


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में हो रही झमाझम बारिश के चलते गंगा के बाद सहायक नदियां भी उफान पर आ गई हैं। रविवार को रुड़की में बाणगंगा के तेज बहाव ने जहां शेरपुर बेला के पास तटबंध को ध्वस्त कर दिया तो वहीं खेती करने गए 57 किसान बाढ़ में फंस गए। इनमें 39 पुरुष, 11 महिलाएं और सात बच्चे शामिल थे।
कई घंटों की मशक्कत के बाद एसडीआरएफ की टीम ने सभी को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला। वहीं, तटबंध ध्वस्त होने से बाढ़ का पानी खानपुर क्षेत्र की कृषि भूमि पर फैलना शुरू हो गया है। करीब 12 हजार बीघा फसल जलमग्न हो गई। बाढ़ के कारण उत्तराखंड के कलसिया, उत्तर प्रदेश के रामसहायवाला, हिम्मतपुर बेला गांव के लक्सर और बिजनौर तहसील मुख्यालय के साथ ही खानपुर ब्लॉक मुख्यालय से संपर्क कट गया है।एसडीएम लक्सर शैलेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि गंगा और बाणगंगा नदी के बीच फंसों 57 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। दोपहर बाद गंगा का जलस्तर भी चेतावनी निशान ने नीचे आ गया था। फिर भी सभी बाढ़ चौकियों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। नदियों के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। बाढ़ के कारण उत्तराखंड के कलसिया, उत्तर प्रदेश के रामसहायवाला, हिम्मतपुर बेला गांव का लक्सर और बिजनौर तहसील मुख्यालय के साथ ही खानपुर ब्लॉक मुख्यालय से संपर्क कट गया है।खानपुर क्षेत्र में दो दिनों से गंगा लगातार चेतावनी निशान के आसपास बह रही थी। वहीं, शनिवार को नदी का जलस्तर खतरे के निशान (294 मीटर) से ऊपर पहुंचने पर अलर्ट जारी किया गया था। इस बीच मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश जारी रहने से गंगा की सहायक नदी बाणगंगा नदी भी उफान पर आ गई और तटबंध को तोड़ दिया। क्षेत्र के संदीप कंबोज, मदन सिंह राठी, कर्म सिंह ने बताया कि बाढ़ का पानी कृषि भूमि पर फैल गया है।कलसिया, बालावाली, डुमनपुरी, पोडोवाली, डेरियो, बादशाहपुर, मोहनावाला, खानपुर, इदरीशपुर, शेरपुर बेला, चंद्रपुरी खुर्द, चंद्रपुरी कला, नाईवाला, दल्लावाला, माडाबेला और उत्तर प्रदेश के रामसहारवाला व हिम्मतपुर बेला गांव की लगभग 12 हजार बीघा कृषि भूमि पर खड़ी गन्ने और पशुओं के चारे की फसल जलमग्न हो गई है। वहीं, रविवार को दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर घटकर चेतावनी निशान (292.95 मीटर) से नीचे आने पर लोगों ने राहत की सांस ली।उधर, पूरे साल बजट का बहाना बनाकर कागजों का पेट भरने वाला सिंचाई विभाग शेरपुर बेला गांव के पास ध्वस्त हुए बाणगंगा नदी के तटबंध की मरम्मत का दावा कर रहा है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बरसात के मौसम में मरम्मत के लिए बजट और मरम्मत सामग्री कैसे जुटाई जाएगी। वहीं, सिंचाई विभाग के ईई डीके सिंह का कहना है कि बाणगंगा नदी के ध्वस्त हुए तटबंध की मरम्मत का काम शुरू करा दिया गया है।

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