रुड़की
गरीबो के लिए चलाई जा रही योजना के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च करने का दावा करने वाली सरकार के सभी दावे खोखले नजर आ रहे है। गरीबो के नाम पर केवल कागजो में खाना पूर्ति कर विभागीय अधिकारी चांदी काट रहे है और पीड़ित गरीब सरकारी मशीनरी से उम्मीद की आस लगाए हुए बैठे है। मंगलौर नगर पालिका परिषद में अभी भी ऐसे लोगो के घर मौजूद है जिनके सर पर पक्की छत मयस्सर नही है। मंगलौर कस्बे में ही रहने वाले कई गरीब मजदूर परिवार अभी भी कच्चे घरो में अपना जीवन व्यापन कर रहे है। इन दो दिनों की बरसात से मकान की कच्ची छत भी ढह गई, पीड़ित मजदूर सारी रात पन्नी की तिरपाल लगाकर अपने बच्चो को बारिश से बचाता रहा। ऐसी तस्वीरें मन को विचलित कर देनी वाली है। क्योकि नगर पालिका को हर साल करोड़ो रूपये का बजट दिया जाता है ताकि उन बेसहारा लोगो को इंदिरा आवास की योजना मिल सके। लेकिन जरूरतमन्दों के लिए सरकारी योजनाओं का कोई सरोकार नही। पीड़ित मजदूर पक्की छत के लिए सरकारी दफ्तरो के चक्कर काटकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की आस में बैठे हुए है लेकिन जिम्मेदार विभाग आंखे मूंद कर बैठा हुआ है। ऐसी इस्थिति में उन सभी गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करने वाले लोगो का सरकार से ही भरोसा उठ गया है।
जबकि नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी अजहर अली ने बताया कि जल्द ही इन सभी को योजनाओ के तहत पक्के मकान आवंटित किए जाएंगे।