उत्तराखंड:हाईकोर्ट ने चमोली के रैणी गांव में आपदा मामले में राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

नैनीताल हाईकोर्ट ने चमोली जिले के रैणी गांव मे गत सात फरवरी को आई आपदा के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य और केंद्र सरकार को 25 जून तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अधिवक्ता पीसी तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि चिपको आंदोलन की नेत्री गौरा देवी का रैणी गांव आज आपदा की मार झेल रहा है। सात फरवरी को आई आपदा में कई लोगों के परिवार उजड़ गए और कितने ही लोगों की कंपनियों व सरकार की लापरवाही के कारण मौत हो गई।याचिकाकर्ता का कहना था कि यह प्रतिबंधित क्षेत्र है। यहां नंदा देवी बायोस्फियर है, लेकिन सरकार की ओर से यहां पर हाइड्रोपावर बनाने की अनुमति दी गई, जबकि पहले भी यह क्षेत्र संवेदनशील रहा है। आपदा के दौरान राज्य के बडे़-बडे़ नेताओं व अधिकारियों ने यहां का दौरा किया, लेकिन पीड़ितों को न तो उचित मुआवजा दिया गया और न ही उनको न्याय मिला। याचिका में कहा कि जहां पर आपदा आई वहां पर किसी भी तरह का अर्ली अलार्मिंग सिस्टम नहीं लगा था। इस क्षेत्र में एवलांच आने में 15 मिनट लगे थे। अलार्म सिस्टम होता तो कई लोगों की जान बच सकती थी।
याचिकाकर्ता की ओर से आपदा पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने और सरकार व कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी। याचिका में यह भी कहा कि आपदा सरकार व कंपनियों की लापरवाही से हुई है। याचिका में उत्तराखंड में बनने वाली जल विद्युत परियोजना में आपदा की पूर्व सूचना देने की व्यवस्था (अर्ली वॉर्निंग सिस्टम) लगाने, आपदा के वक्त बचाव की सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करने, परियोजना स्थल पर काम करने वाले लोगों को इस हेतु प्रशिक्षण देने और ग्लेशियरों की सतत मॉनिटरिंग करने की मांग की गई थी।याचिका में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन(एनटीपीसी), मौसम, वन एवं पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भारत सरकार, केंद्र व राज्य सरकारों के आपदा प्रबंधन विभागों सहित 11 को पक्षकार बनाया गया है।

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