उत्तराखंड: एक हसरत जो अधूरी रह गई, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेद सिंह रावत
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
सागर मलिक
खास बातें
*18 मार्च को चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर थी जश्न बनाने की तैयारी,
*एनडी तिवारी के अलावा कोई और मुख्यमंत्री नही कर पाए हैं पूरा कार्यकाल
*इस मौके पर राज्य सरकार की उपलब्धि को गिनाने की पूरी रूप रेखा थी तैयार
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक हसरत थी जो अब नहीं पूरी हो सकती। यह हसरत थी रावत को बतौर मुख्यमंत्री चार साल पूरा करने और इस उपलब्धि का जश्न मनाने की। दरअसल उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के बाद में इतना लंबा कार्यकाल किसी और मुख्यमंत्री का नहीं हुआ था। यही वजह थी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के चाहने वालों ने रावत से अनुमति लेकर 18 मार्च को देहरादून से लेकर प्रदेश के कई अन्य जिलों में “सफलता के चार साल” का जश्न मनाने की तैयारियां कर रखी थीं। जिसमें राज्य सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से और बतौर सीएम चार साल पूरा करने पर जश्न मनाया जाना था। इस जश्न के माध्यम से रावत भी अपनी ही पार्टी के राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को संदेश भी देना चाहते थे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले भी कई बार कहा था कि वह अपना पांच साल का पूरा कार्यकाल करेंगे। क्योंकि रावत को भी अंदाजा था कि उत्तराखंड में कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है। अब जब चुनाव को महज एक साल बचा था, तो रावत को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि बहुत बड़ा कोई फेरबदल नहीं होने वाला है। इसलिए बचा हुआ एक साल ऐसे ही सफलता से कट जाएगा। यही वजह थी कि रावत चाहते थे कि उनके चार साल के कार्यकाल को सफलता के साथ जोड़ा जाए और जश्न मने। हालांकि इस जश्न के मनाने की पूरी रूप रेखा राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाने जैसे तमाम कार्यक्रमों के तौर पर सजाई गई थी।
उत्तराखंड से भाजपा के एक नेता ने बताया कि वह 18 मार्च को जश्न की तैयारियों में जुटे थे। जश्न मनाने की प्रमुख वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि एक तो त्रिवेंद्र सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री बनने वाले थे, जो चार साल का कार्यकाल पूरा कर लेते लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उक्त नेता ने कहा कि अब सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इससे पहले भी कई मौकों पर कहा था कि वह पांच साल का अपना पूरा कार्यकाल करेंगे। उन्होंने भाजपा के आलाकमान पर भरोसा जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों और राज्य सरकार के माध्यम से लोगों की भलाई के लिए जो काम होने हैं, वह सरकार द्वारा सतत प्रयास के माध्यम से किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड भाजपा के कद्दावर नेता ने बताया कि नंदप्रयाग घाट सड़क के आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज और गैरसैंण को अलग मंडल के तौर पर बनाने का फैसला भी रावत को सत्ता के प्रमुख पद से दूर लेकर चला गया। इसके अलावा रावत सरकार में ब्यूरोक्रेसी नेताओं से ज्यादा हावी रही। नतीजतन न तो नेताओं की ज्यादा सुनी गई और न ही आम जनता की। इस बात की शिकायत लगातार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिल्ली में आलाकमान से की। सूत्रों का कहना है दिल्ली में बैठे भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस बारे में पहले भी आगाह किया था।