उत्तराखंड:एक मंदिर ऐसा जहाँ देवता के दर्शन करना है प्रतिबंधित, यहाँ पीठ दिखाकर करते हैं पूजा


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

उत्तरकाशी। आपने शायद ही कभी ऐसा देखा और सुना हो कि किसी मंदिर में देवता के दर्शन करना प्रतिबंधित हो सकता है। लेकिन अपनी समृद्ध धार्मिक संस्कृति और मान्यताओं के लिए देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड में ऐसा ही एक मंदिर है पोखू देवता का।
यहां पुजारी से लेकर श्रद्धालुओं के देवता की मूर्ति के दर्शन करने पर पाबंदी है। बावजूद लोगों में देवता के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास है। जिला मुख्यालय से लगभग 160 किमी दूर सीमांत विकास खंड मोरी में यमुना नदी की सहायक टौंस नदी के किनारे नैटवाड़ गांव में पोखू देवता का प्राचीन मंदिर स्थित है।

पोखू देवता को इस क्षेत्र का राजा माना जाता है। क्षेत्र के प्रत्येक गांव में दरातियों व चाकुओं के रूप में देवता को पूजा जाता है। कहा जाता है कि देवता का मुंह पाताल में और कमर के ऊपर का भाग पेट आदि धरती पर हैं, ये उल्टे हैं और नग्नावस्था में हैं। इसलिए इस हालत में इन्हें देखना अशिष्टता है, यही वजह है कि पुजारी से लेकर सभी श्रद्धालु इनकी ओर पीठ करके पूजा करते हैं।
 
गांव के लोगों की मदद करता है पोखू देवता
ऐसी मान्यता है कि क्षेत्र में किसी भी प्रकार की विपत्ति या संकट के काल में पोखू देवता गांव के लोगों की मदद करता है। नवंबर माह में क्षेत्र के लोगों द्वारा यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें रात के दौरान मंदिर का पुजारी गांव के संबंध में भविष्यवाणी करता है।

गांव की खुशहाली, फसल उत्पादन आदि के संबंध में होने वाली पुजारी की भविष्यवाणी सच साबित होती है। अपनी इन्हीं विशेषताओं और मान्यताओं के कारण पोखू महाराज का मंदिर एक तीर्थ के रूप में विख्यात है और यहां आने वाले पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है।
नहीं दिखाई देता देवता का सिर
नैटवाड़ स्थित पोखू देवता के मंदिर के पहले कक्ष में बलि की वेदी पर खून के सूख चुके छीठें हैं। इसके अंदर के कक्ष में शिवलिंग स्थापित है। जिसके पीछे पोखू देवता का कक्ष है।
यहां पोखू देवता का चेहरा किसी को नहीं दिखाई देता। जिससे यह दृश्य भय उत्पन्न करता है। इस कारण भी पोखू देवता की पूजा करने वाले पुजारी से लेकर सभी श्रद्धालु देवता की ओर पीठ करके ही पूजा अर्चना करते हैं।

भगवान शिव के सेवक हैं पोखू देवता
प्राचीन वेद पुराणों में पोखू महाराज को कर्ण का प्रतिनिधि व भगवान शिव का सेवक माना गया है। जिनका स्वरूप डरावना और अपने अनुयायियों के प्रति कठोर स्वभाव रखने वाला है। इनके क्षेत्र में कभी चोरी व अन्य कोई अपराध नहीं हुए। 
न्याय के देवता के रूप में पूजते हैं लोग 
पोखू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। पोखू देवता के बारे में ऐसी मान्यता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता उसे पोखू देवता के मंदिर में अवश्य मिलता है।
यही कारण है कि लोग यहां दूर-दूर से अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं। लोगों का मानना है कि पोखू देवता के मंदिर (कोर्ट) में उन्हें तुरंत न्याय मिलता है।

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