उत्तराखंड: एकमात्र अखाड़ा जहाँ सन्यासियों के लिए धूम्रपान है सख्त मनाही।

उत्तराखंड: एकमात्र अखाड़ा जहाँ सन्यासियों के लिए धूम्रपान है सख्त मनाही।
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

हरिद्वार। सभी 13 अखाड़ों में सबसे बाद में शामिल होने वाला निर्मल अखाड़ा है। निर्मल अखाड़ा गंगा और धर्मशास्त्रों में पूर्ण आस्था रखने वाला है। अखाड़ा गुरु गोविंद सिंह महाराज के साथ-साथ गुरुग्रंथ साहब को आराध्य मानता है। ये अकेला अखाड़ा है जहां चिलम, सिगरेट आदि किसी भी प्रकार के धूम्रपान की सख्त मनाही है। अखाड़ा में नशे पर पूर्ण प्रतिबंध है। लाखों सिख निर्मल अखाड़ा के अनुयायी हैं।
निर्मले संतों का इकलौता निर्मल अखाड़ा सिख गुरुओं के उपदेश एवं वेद पुराणों के ज्ञान पर आधारित है। 13 अखाड़ों में निर्मल अखाड़े की स्थापना भी सबसे बाद में 17वीं शताब्दी में हुई। कुंभ नगर में इस अखाड़े की पेशवाई भी समस्त अखाड़ों के बाद निकलती है और धर्म ध्वजा भी अंत में चढ़ाई जाती है। कुंभ के शाही स्नानों में इस अखाड़े के स्नान अंत में होता है। मुख्य स्नान के दिन तो इस अखाड़े के स्नान कई बार तो रात में होता है।

संन्यासियों, बैरागियों और उदासीन सम्प्रदायों में तंबाकू का प्रचलन खूब है। संन्यासी अखाड़ों में चिलम उड़ाना आम बात है। इसके विपरीत निर्मल अखाड़े और छावनियों में किसी भी प्रकार का नशा निषेध है। कुंभ के अवसर पर निर्मले महंत छोटी-छोटी संगतों के माध्यम से पुरातन का परिचय नई पीढ़ी से कराते हैं। यह ऐसा दूसरा अखाड़ा है, जिसका मुख्यालय हरिद्वार में है।

वहीं, आपको बता दें कि कुंभ के मुख्य आकर्षणों में जूना अखाड़ा के नागा संन्यासी, पायलट बाबा और उनकी देशी-विदेशी शिष्याओं की भू समाधि प्रमुख रही हैं। उड़न बाबा के रूप में मशहूर महामंडलेश्वर पायलट बाबा भू के साथ लंबी जल समाधि में भी पारंगत हैं। अनेक कुंभ मेलों में भू समाधि की अवधि में इतने विशाल यज्ञ हुए कि देखने वाले अचरज में पड़ गए थे। इस बार भी बाबा की प्रमुख जापानी शिष्या महामंडलेश्वर एकवा आइकवा के कुंभ में आने की संभावना है।

पायलट बाबा और आइकवा के अलावा महामंडलेश्वर श्रद्धा माता, महामंडलेश्वर चेतना माता, ऑस्ट्रेलिया निवासी बाबा की शिष्या सोमा माता, नैनीताल आश्रम के प्रमुख महंत मंगल गिरि कुंभ मेलों पर भू समाधि ले चुके हैं। सभी ने अनेक कुंभ मेलों और प्रयाग अर्धकुंभ में भू समाधि ली थी। ये समाधियां गहरा गड्ढा खोदकर 15 से 30 दिनों के लिए बड़े समारोह के पूर्वक ली जाती हैं।

आइकवा ने 1998 के हरिद्वार कुंभ में भू समाधि ली थी। भू समाधि की सामर्थ्य उत्पन्न करने के लिए साधक को कड़ा अभ्यास और जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। पायलट बाबा ने तो एकबार स्वयं दिल्ली में जल समाधि लेकर संत जगत को आश्चर्य में डाल दिया था। हरिद्वार में कोरोना काल में इस बार समाधि होगी या नहीं, आइकवा के आने के बाद उसका पता चलेगा।

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