उत्तराखंड: मंहत नरेन्द्र गिरी केस: अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष बोले- फर्जी है वाइरल सुसाइड नोट

उत्तराखंड: मंहत नरेन्द्र गिरी केस: अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष बोले- फर्जी है वाइरल सुसाइड नोट,
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का सुसाइड नोट फर्जी है। वह आत्महत्या करने वाले व्यक्ति नहीं थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि को अपने हस्ताक्षर करने के लिए 3:30 मिनट से अधिक का समय लग जाता था ऐसे में सुसाइड नोट उनका लिखा हुआ नहीं है।
आनंद गिरि को मामले में फसाया जा रहा
शनिवार को हरिद्वार के कनखल स्थित निर्मल अखाड़े में गुरु गोविंद सिंह महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले की सीबीआई जुटी है।

जल्द ही इस मामले में सीबीआई खुलासा कर आरोपियों को जेल के पीछे पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि आनंद गिरि को इस मामले में फसाया जा रहा है। आत्महत्या के समय आनंद गिरि हरिद्वार में मौजूद था।

देवेंद्र सिंह का कहना है कि आत्महत्या की सूचना मिलने पर वह खुद बाघम्बरी मठ पहुंचे थे। उनके साथ निर्मल अखाड़े के राजेंद्र राणा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वायरल हुए सुसाइड नोट में जिनका नाम है, सबसे पहले उनसे ही पूछताछ होनी चाहिए। इसके साथ ही हरिद्वार के जिन 18 लोगों के नाम इस मामले में सामने आ रहे हैं उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। वह महंत नरेंद्र मोदी को काफी सालों से जानते हैं।
महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या जैसा गलत कदम नहीं उठा सकते। बिल्केश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर दिगंबर बलवीर पुरी को गद्दी सौपने के मामले में उन्होंने कहा कि यह निरंजनी अखाड़े का अपना मामला है इसका निर्णय अखाड़ा खुद लेगा। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के चयन को लेकर बैरागी अखाड़े के अलग होने की बात पर उन्होंने कहा कि इसका भी वह कोई जवाब नहीं दे सकते हैं।

आखिर क्या है अखाड़ा परिषद
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दरअसल साधुओं की वो संस्था है, जिसमें अलग-अलग संप्रदाय के साधुओं के अखाड़ों का समन्वय है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना आज से 67 साल पहले 1954 में की गई थी। जिसका उद्देश्य अखाड़ों के बीच में आपसी तालमेल रखने के साथ-साथ कुंभ और महाकुंभ जैसे आयोजनों को सुचारू रूप से संपन्न करवाने में अपनी भूमिका निभाना भी था।
मठों को बाद में कहा जाने लगा अखाड़ा
दरअसल, सनातन धर्म में ये मान्यता है कि आदि गुरू शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में धर्म की स्थापना के लिए मठ स्थापित किये थे। बदरीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ के इन्हीं मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा। शंकराचार्य का सुझाव था कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति संचय भी होना चाहिए।

तभी से मठों में साधु तपस्या करने के साथ-साथ शारीरिक सौष्ठव पर भी ध्यान देने लगे। जानकारी के मुताबिक फिलहाल भारत कुल 13 अखाड़े हैं। ये अखाड़े हिंदू धर्म से जुड़े रीति-रिवाजों के तहत चलते हैं और त्योहारों का आयोजन करते हैं। कुंभ और अर्धकुंभ के आयोजन में ये अखाड़े बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं।

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