उत्तराखंड:मंत्री की बेटी को जनता ने नकारा सरकार ने पुचकार


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

देहरादून: वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर हर साल दिए जाने वाले राज्यस्तरीय तीलू रौतेेली पुरस्कार की इस बार रेवड़ी बंटी हैं। कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल की बेटी और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश पदाधिकारी का नाम भी पुरस्कार की लिस्ट में शामिल है। इससे पुरस्कार के चयन को लेकर जिला एवं राज्य स्तरीय चयन समिति सवालों के घेरे में आ गई है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए जिन 22 महिलाओं के नामों की सूची जारी की गई है, उनमें कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल की बेटी दीपिका चुफाल को सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। बताया गया है कि पिथौरागढ़ में उन्होंने इस विशेष क्षेत्र में काम किया है। जबकि सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र विशेष में कार्य के लिए देहरादून से अनुराधा वालिया का नाम लिस्ट में शामिल है। अनुराधा भाजपा महिला मोर्चा की वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल के मुताबिक उनकी बेटी क्षेत्र में जैविक मसालों का उत्पादन कर रही है। जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में उनकी बेटी ने पलायन रोकने के लिए इस दिशा में काम किया है। उसने कई युवाओं को इस काम से जोड़ा है।
वही भाजपा महिला मोर्चा की वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराधा वालिया का कहना है कि उन्होंने कोविड काल में कई लोगों की मदद की है। कोविड काल में पार्टी का आदेश था कि लोगों की मदद करनी है, इसके अलावा वह एनजीओ से भी जुड़ी हैं। उन्होंने कई लोगों के लिए भोजन एवं मास्क की व्यवस्था की। अनुराधा ने बताया कि वह भाजपा में दो बार प्रदेश महामंत्री रह चुकी हैं।
इस क्षेत्र में कार्य पर मिलता है पुरस्कार
यह पुरस्कार सामाजिक, शिक्षा, साहित्य, वीरता एवं साहस, कोविड काल में मदद, खेल, पर्यावरण आदि के क्षेत्र में कार्य पर महिलाओं को इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है।
इसलिए उठ रहे सवाल
वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार साहस, शिक्षा, साहित्य, खेल और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में दिया जाता है। लेकिन इस बार सत्तारुढ़ पार्टी से संबंधित राजनीतिक क्षेत्र की महिलाओं के नाम भी सूची शामिल कर दिए गए। जबकि राजनीतिक क्षेत्र में यह पुरस्कार नहीं दिया जाता।
एसके सिंह, उप निदेशक महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि सामाजिक क्षेत्र से ही राजनीति के क्षेत्र में एंट्री होती है। राजनीतिक लोग सामाजिक क्षेत्र में काम करते हैं। हालांकि राजनीतिक क्षेत्र में शामिल लोगों के लिए पुरस्कार की व्यवस्था नहीं है, लेकिन जिन लोगों को पुरस्कार के लिए चयनित करने की बात की जा रही है उन्हें सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में कार्य के लिए चयनित किया गया है।

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