उत्तराखंड:- स्थाई नर्सिंग सेवा नियमावली में किया संशोधन, संविदा वालों को भी दिया जाए मौका,
हल्द्वानी से अंकुर की रिपोर्ट
उत्तराखंड राज्य में रोजगार के लिए युवा में से ही परेशान हो रखा है और ऐसे में सरकार द्वारा निकाली गई नर्सिंग स्टाफ की विज्ञप्ति में जो सरकार द्वारा नियमावली रखी गई है उसमें संविदा में काम करने वाले स्टाफ को ना रखकर विज्ञप्ति फ्रेशर्स के लिए निकाली गई है संविदा में काम कर रहे हैं नर्सिंग स्टाफ के लोगों में काफी निराशा छाई हुई है और ऐसे देखा जा सकता है कि सरकार के द्वारा नर्सिंग स्टाफ जो संविदा में अस्पतालों में काम कर रहा है उनके ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है क्योंकि यदि अगर ऐसा होता तो सरकार सबसे पहले संविदा में काम कर रहे लोगों के ऊपर विज्ञप्ति में ध्यान देती हो और संविदा के लोगों के लिए विज्ञप्ति में पद सृजित करती लेकिन इस प्रकार का कार्य सरकार द्वारा नहीं किया है नर्सिंग स्टाफ में काफी आक्रोश है और देखा जा सकता है कि नर्सिंग स्टाफ ने उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी पत्र भेजा है कि जिसमें उन्होंने बताया कि सुशील तिवारी अस्पताल में 142 पदों पर स्थाई नर्सिंग स्टाफनर्स और 63 पदों पर उपनल के माध्यम से काम कर रहे हैं फिर भी इसके अलावा वर्तमान में सैकड़ों पद खाली हैं उसके बावजूद भी अपना नर्सिंग स्टाफ जो कि 5 से 10 सालों से सुशीला तिवारी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहा है अब उनकी स्थाई नियुक्ति के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा है ऐसे में जहां चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पुरानी नर्सिंग होम नियमावली में संशोधन करने के बाद एक विज्ञप्ति जारी की थी जिसका प्रदेश में पूरा विरोध किया जा रहा है क्योंकि इस नियमावली के अनुसार संविदा और उपनल nhm staff के अंतर्गत काम कर रहे हैं उन्हें कई सालों से दुर्गम अति दुर्गम सेवा में बहुत कम मानदेय दिया जा रहा है और कोरोना काल में भी उन्होंने कम मानदेय में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया और सरकार के द्वारा इस नई विज्ञप्ति में उन्हें उपहार स्वरूप उनके लिए पद सृजित किए जाएं बता दे कि नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि जनप्रिया हर साल की जानी चाहिए जिसमें सविता एनएचएम स्टाफ नर्स को जो 1 साल के लिए 1 अंक का वेटेज दिया जाता है उसको बढ़ाकर अन्य राज्यों की तरह 1 साल का 5% अंक और ज्यादा से ज्यादा 30% अंक प्रदान किए जाने चाहिए जिससे इस नर्सेज का भविष्य सुरक्षित हो सके इसने वाली में किसी भी डिग्री धारक को भी सम्मिलित किया जा सकता है डिप्लोमा व डिग्री धारक आवेदक का एक परीक्षा के द्वारा चयन होना चाहिए नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हमारी योग्यता और कार्य एक ही स्थान में एक समान है लेकिन स्थान नरसिंह की तरह हमारा वेतन सामान्य नहीं है क्योंकि जहां स्थाई नर्सिंग स्टाफ को ₹65000 प्रतिमाह वेतन दिया जाता है वही अस्थाई उपनल के माध्यम से संविदा में लगे नर्सिंग स्टाफ के लोगों को 11600 का वेतन दिया जाता है और इतना कम वेतन होने के बावजूद भी हम इतने सालों का अनुभव होने के बाद भी हमारे भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है साथ ही कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते पूरा देश जा लॉक डाउन हो गया था और सुरक्षित रखने की एक दूसरे को कोशिश की जा रही थी वहां पर हम लोगों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए परिवार की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं सिर्फ 11600 के वेतनमान में पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी सेवाएं दी हैं वर्तमान में जहां एक तरफ प्रदेश सरकार हर सरकार की तरह मेरे लिए स्टाफ के लिए अलग-अलग घोषणाएं कर रही है जिसके वह उनके परिवार को सुरक्षित रखा जाए और उसके उलट हम सब उपनल नर्सिंग स्टाफ को इन सुविधाओं से वंचित रखा जाता है हमें कि सिर्फ ₹11600 का प्रतिमाह वेतन दिया जाता है जिससे हमें परिवार की जिम्मेदारी को पूरा कर पाना असंभव सा हो रहा है और हमें सिर्फ यही कहा आस थी जो नई भर्ती निकलेगी उसमें सरकार हमारे भविष्य के बारे में सोचेगी और हमारा भविष्य सुरक्षित करेगी लेकिन अब देखा जा सकता है कि जो असंभव सा नजर होता आ रहा है उपनल के माध्यम से लगे सभी नर्सिंग स्टाफ ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से आग्रह किया है कि उपनल और आउट सोर्स के माध्यम से 5 से 10 वर्षों से कार्य कर रहे समस्त नर्सिंग स्टाफ किन बातों का ध्यान रखते हुए नए नियमावली मैं उक्त संशोधन कर सभी उपनल और आउटसोर्सिंग संविदा बेरोजगार नर्सेज को उचित कार्रवाई करने और भविष्य के लिए नियमावली में 1 साल का 5 अंकित देते हुए नियमावली में संशोधन करनी चाहिए जिससे कि हमारा भविष्य सुरक्षित रह सके, अब देखना है कि क्या यह जो मामला उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत या फिर विपक्ष के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पास किया है इसमें क्या यह किसी प्रकार की कार्यवाही करते हैं या फिर नहीं और जिस प्रकार से जो विज्ञप्ति निकली गई थी इस विज्ञप्ति में संशोधन कर इसे दोबारा से प्रकाशित किया जाता है या नहीं,