रुड़की
कोरोना कॉल में अधिकतर लोगों में फेफड़ों का संक्रमण बढ़ रहा है इसके लिए डॉक्टर मरीजों को अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे की रिपोर्ट कराने की सलाह दे रहे हैं उसके बाद ही सही उपचार किया जा रहा है स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपए खर्च कर लोगों को बेहतर सुविधा देने का दम भरता है लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है मंगलौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है मंगलौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं मंगलौर के अलावा दर्जनों गांवों से मरीज आते हैं। एक्स रे मशीन लंबे समय से पड़ी पड़ी धूल फांक रही है लेकिन अभी तक एक्स रे मशीन का सुविधा मंगलौर की जनता को नहीं मिल पा रही है अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन की तैनाती है उसकी ड्यूटी कोविड-19 मैं लगाई गई है मरीजों को एक साथ रहने के लिए 8 किलोमीटर दूर रुड़की अस्पताल में जाना पड़ रहा है जिससे यहां के स्थानीय निवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है कस्बे में अधिकतर गरीब लोग रहते हैं ऐसे में कुछ लोग प्राइवेट संस्थानों में एक्स-रे कराने में समर्थ नहीं है ऐसे में उनका इलाज भी ढंग से नहीं हो पा रहा है