उत्तराखंड:तीलू रतूड़ी अवार्ड,कैसर से जूझते हुए भी सामाजिक कार्यों में जुटी रही पार्वती


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

हल्द्वानी : जिंदगी में मुश्किलें हजार आएंगी। कामयाब तो वो है जिसने मुश्किलों को दरकिनार कर संघर्ष का सफर जारी रखा। नवाबी रोड हल्द्वानी निवासी पार्वती किरोला ऐसा ही नाम हैं। खुद कैंसर से जुझते हुए दूसरों की मदद में जुटी रहीं। कोरोना की पहली लहर में जब हर तरफ मुश्किलें नजर आ रही थी। किसी के करीब जाने में भी संक्रमण का डर बना था। ऐसे कठिन वक्त में पार्वती आसपास के जरूरतमंदों तक राशन, तेल, नमक जैसी जरूरी सामग्री पहुंचाने में जुटी थीं।
शिक्षक रहते हुए जीवन के 34 वर्षों तक बच्चाें को शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाली पार्वती कोरोना महामारी के दौर में मास्क, सेनिटाइजर के साथ कोविड से बचाव की चेतना भी फैला रही थीं। उनके इस काम को प्रदेश सरकार ने तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा है। 68 वर्षीय पार्वती किरौला 2014 में खालसा बालिका इंटर कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान प्रवक्ता के पद से सेवानिवृत्त हुईं। विद्यालय में उनकी पहली नियुक्ति 1980 में बतौर एलटी शिक्षक के तौर पर हुई। कोविड के क्षेत्र में मिले तीलू रौतेली पुरस्कार को उन्होंने सभी कोरोना योद्धाओं को समर्पित किया है। पति एडवोकेट जीएस किरोला पत्नी को मिले सम्मान से खुश हैं।
स्कूल छूटा पर जारी रही पढ़ाई
सेवानिवृत्ति के बावजूद पार्वती किरौला ने शिक्षा की अलख जगाने का काम जारी रखा। आसपास के जरूरतमंदों बच्चों को कापी-किताबें, जूते-चप्पल उपलब्ध करातीं। घर पर ही उन्हें पढ़ाती थीं। पेंशन का काफी हिस्सा सामाजिक कार्यों में व्यय हो जाता। शुरुआत में आनंद आश्रम से जुड़कर बुजुर्गों की सेवा में भी जुटी रहीं।
कैंसर से पीड़‍ित हैं पार्वती
पार्वती ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हैं। 10 साल पहले ऑपरेशन के बाद वह स्वस्थ हो गई थीं। पिछले साल जनवरी में कोरोना की पहली लहर से पहले फिर से वह बीमार हो गईं। जांच में पता चला कि उन्हें फिर से बीमारी पनपने लगी है। लाॅकडाउन में ऑपरेशन नहीं करा पाईं। सितंबर 2020 में दिल्ली में दोबारा से ऑपरेशन कराया और फिर से नेकी के रास्ते पर आगे बढ़ती रहीं।

विभागीय कार्यों से आगे निकलकर बनी ‘दुर्गा’
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दुर्गा बिष्ट को भी तीलू रौतेली पुरस्कार दिया गया है। रामनगर के पदमपुर छोई में कार्यरत 47 वर्षीय दुर्गा 1994 से विभाग में कार्यरत हैं। विभागीय कार्यों के अलावा पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा जैसे सामाजिक चेतना के कार्यों में भी जुटी रहती हैं। कोरोना काल में घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया। विभागीय के अलावा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों तक मास्क, सेनिटाइजर उपलब्ध कराए। पति नरेश बिष्ट संविदा के तौर पर बैंक में कार्यरत हैं।

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