उत्तराखंड:तीरथ सिंह रावत ने देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर इस्तीफा दिया, आज विधानमंडल दल की बैठक


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

तीरथ सिंह रावत ने देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर इस्तीफा दिया।
आज विधानमंडल दल की बैठक।

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफ़े को लेकर बीते शाम से ही कयास लगाये जा रहे थे.

हालांकि इससे कुछ घंटे पूर्व उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपने कार्यकाल की उपलब्धियां तो गिनवाईं लेकिन इस्तीफ़े का कोई ज़िक्र नहीं किया.

इधर 3 जुलाई को दोपहर तीन बजे पार्टी मुख्यालय में विधानमंडल की बैठक होने वाली है. पार्टी ने सभी विधायकों को बैठक में उपस्थित रहने के लिए कहा है.
ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश के नेतृत्व को लेकर शनिवार को होने वाली बैठक में कोई फ़ैसला लिया जा सकता है.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को ये संकेत दिया था कि उपचुनाव पर निर्वाचन

आयोग के फ़ैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी अपना निर्णय ले सकती है.

उत्तराखंड के सियासी गलियारों में पिछले कुछ दिनों से ये ख़बरें तेज़ी से चल रही थीं कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए नए नेता का चयन कर सकती है.

मार्च में बने थे सीएम

भारतीय जनता पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनाया था.

लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि राज्य विधानसभा के कार्यकाल का एक साल से भी कम समय बचा हुआ है और मुमकिन है कि निर्वाचन आयोग उत्तराखंड की रिक्त सीटों पर उपचुनाव कराने पर कोई आदेश न दे.

जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच चुनाव कराने पर हाल के दिनों में आई अदालती टिप्पणियों को भी निर्वाचन आयोग उपचुनाव को लेकर कोई फैसला करने या न करने में भी ध्यान में रख सकती है.

बुधवार को तीरथ सिंह सिंह रावत को अचानक पार्टी हाईकमान ने दिल्ली बुलाया था जिसके बाद नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया. दिल्ली में तीरथ सिंह रावत की मुलाकात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई.

गुरुवार को वे वापस लौट आए. शुक्रवार को रावत ने पत्रकारों से कहा कि उपचुनाव कराए जाएं या न कराए जाएं, ये फैसला करना निर्वाचन आयोग का विशेषाधिकार है और पार्टी इसी के मुताबिक़ अगला कदम उठाएगी.

पौड़ी गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को उत्तराखंड के

मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. संविधान के मुताबिक़ पद पर बने रहने के लिए उन्हें 10 सितंबर से पहले राज्य विधानसभा का सदस्य बनना होगा.

जनप्रतिनिधित्व क़ानून, 1951 की धारा 151ए में निर्वाचन आयोग को ये अधिकार दिया गया है कि संसद और राज्य विधानसभा की सीटों के खाली होने की सूरत में छह महीने के भीतर उपचुनाव कराकर उन्हें भरा जाए लेकिन इसमें एक शर्त है कि संसद और राज्य विधानसभा का एक साल या उससे ज्यादा का कार्यकाल बचा हुआ हो.

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उत्तराखंड:स्टोरी पँखे से लटका मिला किशोरी के शव

Sat Jul 3 , 2021
रुड़की रुड़की के पिरान कलियर थाना क्षेत्र महमदपुर में एक किशोरी के शव पँखे से लटका मिला जिसके बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई मामला देर शाम का है जब घर मे कोई नही था उस वक्त किशोरी के पिता काम पर और माँ बाजार गई हुई थी तभी एक […]

You May Like

advertisement