उत्तराखंड: दो आईएफएस अधिकारी निलंबित,

देहरादून:  कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण और पाखरो में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान के बहुचर्चित प्रकरण में शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो आइएफएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

इनमें तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एवं वर्तमान में सीईओ कैंपा की जिम्मेदारी देख रहे जेएस सुहाग और कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद शामिल हैं। इसके अलावा सीटीआर के निदेशक राहुल को वन विभाग के मुखिया के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।

इस संबंध में बुधवार को आदेश जारी कर दिए गए। प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने इसकी पुष्टि की। उधर, भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर चल रही धामी सरकार ने वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई कर नौकरशाही को कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है।

कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के अंतर्गत पाखरो में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए पूर्व में स्वीकृति से अधिक पेड़ों का कटान कर दिया गया था। इसके अलावा इस क्षेत्र में सड़क, मोरघट्टी व पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवन के अलावा जलाशय का निर्माण भी कराया गया।

इन कार्यों के लिए कोई वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति तक नहीं ली गई थी। इस संबंध में मिली शिकायतों के बाद गत वर्ष जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया, तब मामला प्रकाश में आया।

एनटीसीए ने शिकायतों को सही पाते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इससे विभाग में हड़कंप मचा, लेकिन शुरुआत में केवल रेंज अधिकारी को हटाया गया। मामले ने तूल पकड़ा तो गत वर्ष 27 नवंबर को शासन ने तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग से यह जिम्मेदारी वापस ले ली थी।

साथ ही कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के डीएफओ किशन चंद को विभाग प्रमुख कार्यालय से संबद्ध किया गया। यद्यपि, सीटीआर के निदेशक के विरुद्ध कार्रवाई न होने से प्रश्न उठ रहे थे। यह प्रकरण उच्च न्यायालय में भी चल रहा है।

वन विभाग के मुखिया ने कुछ समय पहले इस प्रकरण की जांच के लिए पांच सदस्यीय विभागीय दल गठित किया। दल ने अपनी रिपोर्ट में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में हुए निर्माण कार्यों और टाइगर सफारी के लिए पेड़ कटान में गंभीर प्रशासनिक, वित्तीय व आपराधिक अनियमितता परिलक्षित होने की पुष्टि की।

इसमें सीटीआर के निदेशक को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। शासन ने जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाल में ही सीटीआर के निदेशक को कारण बताओ नोटिस भेजा था।
लंबी प्रतीक्षा के बाद अब हुई कार्रवाई सीटीआर के इस बहुचर्चित प्रकरण में उच्च स्तर पर लगातार चले मंथन और आरोपित अधिकारियों के स्पष्टीकरण का परीक्षण करने के बाद शासन ने अब जाकर सख्त कार्रवाई की है। इससे यह संदेश देने का भी प्रयास किया गया है कि किसी को भी मनमानी की अनुमति नहीं दी जा सकती, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो।

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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