उत्तराखंड:कुंभ घोटाला: कोरोना फर्जी टेस्टिंग फंसी फर्म और लैब होगी आमने-सामने, एसआईटी पूछेगी ये सवाल


प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

कुंभ हरिद्वार के दौरान कोरोना फर्जी टेस्टिंग मामले में कोरोना घोटाले की जांच कर रही एसआइटी की टीम पहली बार फर्म और लैब को आमने सामने बैठाकर पूछताछ करेगी। सोमवार को एसआईटी मैक्स फर्म के पार्टनरों व लाल चंदानी लैब के संचालकों को आमना-सामन कराएगी। दोनों एक दूसरे पर आरोप जड़ रहे है। श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े के बाद एसआईटी की टीम पिछले दिनों से लगातार बयान दर्ज कर रही है। लेकिन घोटालेबाज का पता नहीं चल पा रहा है। एक दूसरे पर फर्म और कंपनी आरोप लगा रही है। सीएमओ हरिद्वार एस के झा, मेलाधिकारी अर्जुन सेंगर व कोविड सेल के नोडल प्रभारी डॉक्टर नरेंद्र त्यागी से भी पूछताछ की जा चुकी थी।
फर्म मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के पार्टनरों, नलवा लैब हिसार के संचालक व डॉक्टर लालचंदानी लैब सेंट्रल दिल्ली के संचालकों से भी पूछताछ हो चुकी है। लेकिन एक दूसरे पर आरोप लगाये जा रहे है। फर्म लैब और लैब संचालक फर्म पर आरोप लगा रहे है। आज (सोमवार) को फर्म और लैब के संचालकों को एसआइटी ने आमने सामने बैठकर पूछताछ का फैसला लिया है, ताकि आरोपों की सच्चाई सामने आ सकें। सोमवार को होने वाली पूछताछ के लिए दोनों को ही एसआइटी पहले ही बता चुकी है। रोशनाबाद स्थित एसआइटी कार्यालय में यह पूछताद की जाएगी। जांच अधिकारी राजेश साह ने बताया कि लैब और फर्म संचालक को सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

हरिद्वार कुंभ में कोरोना फर्जी जांच के नाम पर हुए घोटाले का मामला सामने आने के बाद अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। एसआईटी जांच में खुलाया हुआ है कि घोटाले में जिस फर्म मैक्स कॉरपोरेट सर्विस पर केस दर्ज हुआ है उसने जनवरी में जांच के लिए मेला और जिले के स्वास्थ्य विभाग से अनुमति मांगी थी। हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग ने फर्म को ठेका देने से इनकार कर दिया था। लेकिन मेला स्वास्थ्य विभाग की ओर से 26 मार्च को फर्म को अनुमति दे दी गई। इसी अनुमति के आधार पर 5 अप्रैल को हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए फर्म को आईडी और पासवर्ड बनाकर दे दिया।
सवाल खड़ा रहा है कि जब हरिद्वार स्वास्थ्य विभाग ने फर्म को रिजेक्ट कर दिया तो मेला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने किसके दबाव में फर्म को ठेका दिया।अभी तक हुई प्रशासन की जांच में अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जांच टीम अधिकारियों की लापरवाही भी इस मामले में देख रही है।दिसंबर वर्ष 2020 में बैठक के बाद यह निर्णय हुआ था कि हरिद्वार कुंभ में आने वालों की सीमाओं पर जांच की जाएगी। इसके बाद ही हरिद्वार कुंभ में जांच के लिए लैबों ने आना शुरू किया था।  स्वास्थ्य विभाग ने फरवरी में लैबों को काम करने का ठेका दिया था। कई लैबों को इससे पहले भी अनुमति दी गई थी। मार्च में मेला स्वास्थ्य विभाग की ओर से अनुमति जारी की गई थी।

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