वर्षा ऋतु में बढ़ते हैं वात विकार- खान-पान का रखें ख्याल।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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सावधानी ही रोगों से मुक्ति का रामबाण तरीका है : डॉ. शीतल महाडीक।

कुरुक्षेत्र : मौसम बदलने के साथ स्वास्थ्य का ढीला पड़ना स्वाभाविक है। जिसके चलते विशेषज्ञ डॉक्टर खान-पान और आहार-विहार में सावधानी बरतने की सलाह देते है। ताकि मौसमी बीमारी से बचा जा सके और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी बनी रहे। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में ऋतुओं के अनुसार जीवनशैली और आहार में बदलाव लाकर स्वास्थ्य को मजबूत करने के नायाब तरीके बताए गए है।
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के स्वस्थवृत विभाग की सहायक प्रो. डॉ. शीतल सिंगला का कहना है कि गर्मियों के बाद बरसात का मौसम चल रहा है, जिससे तापमान में बदलाव आ रहे है जिसके व्यक्ति के शरीर पर बुरे प्रभाव भी पड़ते है जो बाद में शरीर की ताकत को कम कर बीमारियों को न्योता देते है। उन्होंने बताया कि वर्षा ऋतु में हवा में नमी और सूरज की रोशनी में कमी बैक्टीरिया और वायरस के विकास के लिए पोषक तत्व है, जिसके कारण संक्रामक रोगों की दर बढ़ जाती है जिसके चलते व्यक्ति बीमार पड़ता है मगर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति अनुसार अगर थोड़ा जीवनशैली और आहार में बदलाव लाया जाए तो बीमारियों से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इन दिनों उत्तरायण में वर्षा ऋतु होने से मनुष्य के शरीर की ताकत कम हो जाती है और जठराग्नि धीमी होने के चलते पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर देती है, जिससे मनुष्य के शरीर में वात की बढ़ोतरी हो जाती है। जो अनेकों विकारों जैसे रोग, गठिया रोग, अस्थमा, मानसिक विकार, बुखार, त्वचा विकार जैसे रोगों का कारण बनती है इसके साथ वर्षा के मौसम में प्रदूषित जल के कारण डायरिया, पीलिया, त्वचा रोग, मलेरिया, टाइफाइड जैसे विकार भी हो जाते हैं।
कैसे रखें स्वास्थ्य को दुरुस्त।
डॉ. शीतल सिंगला ने बताया कि खान-पान में थोड़ी सावधानी ही रोगों से मुक्ति का रामबाण तरीका है। वर्षा के मौसम में फ्रिज के भोजन, ठंडे पेय से बचना चाहिए। मटके का प्रयोग भी बंद कर देना आवश्यक है तांबे के बर्तन में रखे पानी का ही सेवन करना चाहिए। क्योंकि इस मौसम में बात विकार कफ बढ़ जाता है जिससे वात विकार और सर्दी जल्दी लगती है। इसके साथ दालों सूप का सेवन करें ये पाचक और अग्नि वर्धक होते हैं। इस मौसम में कड़वे, कसैले मसालेदार और खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। भोजन में लहसुन, अदरक, हल्दी, काली मिर्च जैसे हल्के मसालों का ही प्रयोग करें। हालांकि यह भोजन में स्वाद जोड़ते हैं, लेकिन समय के साथ इसका सेवन करना परेशानी भरा हो सकता है। हींग स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। इस मौसम में हल्के और सुपाच्य भोजन करना लाभदायक है, मांस और मछली से पूरी तरह परहेज करना चाहिए क्योंकि इस वक्त पाचन धीमा होता है और मांस के दूषित होने की संभावना अधिक होती है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान तला-भुना और मसालेदार खाना खाने की तीव्र इच्छा होती है लेकिन यह पाचन और अन्य बीमारियों को बढ़ा सकता है इसलिए ब्रेड पकोड़ा, मोमोज, पिज़्ज़ा, कोल्ड ड्रिंक, फ्लेवर मिल्क, रेडी टू ड्रिंक कॉफी, रेडी टू ड्रिंक फलो के ज्यूस,, चाट जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना ही बेहतर है। इस मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां भी दूषित होती है इसलिए इन्हें कम खाएं और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। खाना। कोशिश करनी चाहिए की रात का खाना दिन के खाने के मुकाबले हल्का और सुपाच्य हो। आयुर्वेद चिकित्सा अनुसार सुबह उठने से लेकर रात तक दो समय भोजन सर्वोत्तम माना गया है।

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