बोल-चाल में उच्चारण और लिखने में व्याकरण की शुद्धता पर बहुत ध्यान देते थे मेरे पूज्य पिता स्वर्गीय श्री विजयी सिंह। बहुमुखी प्रतिभाओं की उर्वरा धरती छ्परा सुल्तान पुर आजमगढ़ में 1933 में पैदा हुए पिताजी ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा गांव के ही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में ग्रहण की। बचपन से ही मेधावी रहे पिताजी को पढाने-लिखाने मे दादा स्वर्गीय श्री रामा सिंह ने कोई कोसर उठा नहीं रक्खी। पूरे मनोयोग से पिताजी ने स्मिथ इंटर कॉलेज अजमतगढ आजमगढ़ से इण्टरमीडिएट की पढाई की और प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की । अंग्रेजी और अर्थशास्त्र से स्नातक करने के बाद कुछ वर्षों तक अध्यापन का कार्य किया। सर्वप्रथम रानीपुर ब्लाक में पडरी ग्रामसभा में खुलने वाले हाईस्कूल के प्रधानाचार्य रहे तदुपरांत पच्चोत्तर इंटर कालेज मरदह गाजीपुर में अर्थशास्त्र के प्रवक्ता पद पर कार्य किया। पिताजी के शिक्षण कौशल और विद्वता का बखान उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के लोकप्रिय नेता श्रद्धेय श्री राम जनम सिंह मुझसे अक्सर करते रहते हैं।इसके अतिरिक्त स्मिथ इंटर कॉलेज में उनके सहपाठी रहे गडेरूआ आजमगढ़ निवासी श्रद्धेय श्री रामदेव सिंह भी उनकी सौम्य्ता के साथ कुशाग्रता का वर्णन करते रहते हैं। कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य करने के उपरांत पिताजी ने ग्राम्य विकास अधिकारी के रूप सेवा आरम्भ की और ए डी ओ के रूप में सीयर ब्लाक बलिया से सेवानिवृत्त हुए। सम्पूर्ण सेवाकाल में अपनी ईमानदारी और सज्जनता के लिए चर्चित रहे पूज्य पिताजी सर्वदा सादा जीवन और उच्च विचार की सीख देते रहे। आध्यात्मिक प्रवृत्ति के पिता जी नैतिक, अनुशासित और मर्यादित जीवन को सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम मानते थे। मेरे लिए प्रेरणा पुरूष रहे पूज्य पिताजी की स्मृतियाॅ मुझे सर्वदा मार्गदर्शित करती रहती हैं।
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3 years ago
मेहनगर आज़मगढ़।कोरोना उपचार आपके द्वार