पांच वर्ष की उम्र में हुआ विटिलिगो (सफेद दाग) रोग, आयुर्वेदिक इलाज से हुए ठीक

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कुरुक्षेत्र : जिस उम्र में बच्चे मनचाहा खाते-पीते हैं अगर उस आयु के अन्दर खटे-मिठे खाने का परहेज करना पड़े, इससे बच्चे की जिंदगी नासूर बन जाती है। ऐसा ही हुआ कुरुक्षेत्र की सेक्टर चार निवासी गनिका के साथ। गनिका को पांच वर्ष की आयु में विटिलिगो (सफेद दाग) जैसी गंभीर बीमारी हो गई थी। उसके चेहरे, गर्दन, घुटनों और पैरों पर सफेद दाग दिखने लगे थे। शहर व दूसरे जिलों के नामी-गिरामी डॉक्टरों से इलाज चला, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। आयुष विश्वविद्यालय के श्रीकृष्णा राजकीय महाविद्यालय एवं अस्पताल के सहायक प्राध्यापक डॉ. अमित कटारिया ने आयुर्वेदिक थेरेपी और दवाओं से उसे ठीक कर दिया। इलाज अभी चल रहा है।
गनिका ने बताया कि उसे सफेद दाग पांच साल की उम्र से होने लगे थे। जिनका आकार शुरू में छोटा था लेकिन धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैलने लगे। बीमारी की शुरूआत में शहर के ही डॉक्टरों से इलाज करवाया, फायदा न मिलने पर कई अन्य जिलों के नामी-गिरामी डॉक्टरों से दवाई खाई, पर सफेद दाग लगातार बढ़ते जा रहे थे। खेलते वक्त शरीर के जिस हिस्से पर चोट लग जाती, उस जगह सफेद पर दाग उभरने लगते। आस-पड़ोस के लोगों द्वारा दी गई सलाह पर परिवार द्वारा देसी दवाई भी शुरू करवाई गई। जिसमें मुझे खट्टे-मीठे खाने की चीजों की मनाही थी। गिनिका ने कहा कि सब जगह से थक-हार कर 6 महीने पहले श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल के डॉ. अमित कटारिया से इलाज चला। आयुर्वेदिक थेरेपी और दवाई खाने से 2 महीने के अन्दर-अन्दर स्किन से सफेद दाग गायब होने लगे। अब सफेद दाग धुंधले पड़ चुके हैं। स्किन पहले जैसी नजर आने लगी है।
गलत खान-पान से होता है विटिलिगो – डॉ. अमित कटारिया।
सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कटारिया ने बताया विटिलिगो (फुलवेरी) एक प्रकार का त्वचा विकार है। जिसे ल्यूकोडर्मा के नाम से भी जानते है। यह रोग विरूद्ध आहार और अनुवांशिक कारणों से होता है। जो रोगी में मानसिक अवसाद पैदा करते हैं। आयुर्वेद में विटिलिगो का इलाज पूर्णतया संभव है। उन्होंने बताया कि छह महीने पहले गनिका को उसके माता पिता जब उनके पास लेकर आए थे तो उसके चेहरे, गर्दन, घुटने और पैरों पर सफेद निशान थे। जिनका फैलाव धीरे-धीरे पुरे शरीर पर होता जा रहा था। उस समय इलाज देने के साथ-साथ उनके मन में हौसला भी जगाना जरूरी था। इसलिए उसे मोटिवेट किया गया। इलाज के साथ ही दो महीने के भीतर रिजल्ट दिखने शुरू हो गए थे। विटिलिगो बीमारी में बच्चे को शरीर पर सुबह शाम की धूप लगाने की विशेष रूप से सलाह दी जाती है।
सप्ताह में दो दिन विटिलिगो के मरीजों की होती है जांच- डॉ. शंभू दयाल।
बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शंभू दयाल ने बताया कि सामान्यतः विटिलिगो किसी भी उम्र में हो सकता है। जो गलत खान-पान और आनुवांशिक कारणों से होता है। ज्यादा मामलों में यह रोग 20 साल की उम्र से पहले हो जाता है। 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष की आयु से पहले विकसित होता है। कुछ रोगियों में धिरे-धिरे। जबकि कुछ मामलों में बहुत तेजी से फैलता है। उन्होंने बताया कि जब आपके शरीर में मेलेनोसाइटस मरने लगते हैं। तब आपकी त्वचा पर कई सफेद धब्बे होने लगते है। इस स्थिति को श्वेत कुष्ठ रोग भी कहते हैं। आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा इस रोग का इलाज अस्पताल में किया जा रहा है। सप्ताह में बुधवार और शनिवार को विटिलिगो के मरीजों जिसकी आयु 16 साल तक है उनकी जांच की जाती है।

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