दीपावली के 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली पर्व मनाया जाता है।इस वर्ष यह दिन शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को पड़ रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या करें-
- सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
- अगर पास में गंगा नदी मौजूद है तो वहां स्नान करें।
- सुबह के वक्त मिट्टी के दीपक में घी या तिल का तेल डालकर दीपदान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें।
- विष्णु मंत्र- ‘नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।’
- घर में हवन या पूजन करें।
- घी, अन्न या खाने की कोई भी वस्तु दान करें।
- शाम के समय भी मंदिर में दीपदान करें।
- इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी मिश्रित जल डालकर हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करके धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
महत्व : इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव जी ने राक्षस तारकासुर और उनके पुत्रों का वध करके उन पर विजय प्राप्त की थी। इसी वजह से कार्तिक पूर्णिमा के मंदिरों में दीये जलाए जाते हैं और देवताओं को चढ़ाए जाने वाले इन्हीं दीपों के पर्व को देव दिवाली कहा जाता है।
मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान और गंगा स्नान का बेहद महत्व पुराणों में बताया गया है। इस दिन भगवान श्री विष्णु का विशेष पूजन करने से श्रद्धालु को यश, धन-समृद्धि, सम्मान-सफलता और चारों दिशाओं से कीर्ति प्राप्त होती है।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान की पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव द्वारा राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, इसी कारण यह दिन त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जनमानस में जाना जाता है। मान्यतानुसार गंगा स्नान के बाद नदी किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान श्री विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है। इस दिन मंदिर दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। दीपदान मिट्टी के दीयों में घी या तिल का तेल डालकर करना शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि इस दिन जो लोग श्री विष्णु का ध्यान करते हुए मंदिरों, पीपल, चौराहे या नदी के किनारे पर बड़ा दीया जलाते हैं उनका घर सुख और सौभाग्य से भर जाता है।