हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कविता रचयिता- डॉ. अशोक कुमार वर्मा।
कुरुक्षेत्र :- विष बेचते हैं। खुले घूमते हैं।
नशे में झूमते हैं। विषैले नाग हैं ये।
न जाने आज किसको डसेंगे।
किस मासूम के जीवन में नशा रुपी विष भरेंगे।
विष बेचते हैं। खुले घूमते हैं।
नशे में झूमते हैं। विषैले नाग हैं ये।
किस मां की कोख को सूनी करेंगे।
किस पिता के सपनों को हरेंगे।
विष बेचते हैं। खुले घूमते हैं।
नशे में झूमते हैं। विषैले नाग हैं ये।
युवाओं को न जाने कब तक पथभ्रष्ट करेंगे।
भारत मां के सीने में कितने वार करेंगे।
विष बेचते हैं। खुले घूमते हैं।
नशे में झूमते हैं। विषैले नाग हैं ये।
सावधान हो जाओ।
समय रहते सम्भलो।
और ऐसे दुष्टों का नकाब हटाओ।
डा. अशोक वर्मा हरियाणा पुलिस विभाग में उच्च अधिकारी है जो हरियाणा को नशा मुक्त करने के अभियान में जुटे हुए है।