देव मूर्ति की परिक्रमा क्यों की जाती है- पंडित महिपाल शास्त्री

परिक्रमा का महत्व : पंडित महिपाल शास्त्री

मोगा : [कैप्टन सुभाष चंद्र शर्मा,संपादक पंजाब] :=जब हम मंदिर जाते है तो हम भगवान की परिक्रमा जरुर लगाते है | पर क्या कभी हमने ये सोचा है कि देव मूर्ति की परिक्रमा क्यों की जाती है? न्यूज टीम ने यह जानने हेतु वैष्णों माता मंदिर मोगा के पंडित महिपाल शास्त्री जी से संपर्क किया। पंडित जी न्यूज टीम ने साथ प्रैस वार्ता में बताया कि :=

शास्त्रोनुसार जिस स्थान पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई हो, उसके मध्य बिंदु से लेकर कुछ दूरी तक दिव्य प्रभा अथवा प्रभाव रहता है | यह निकट होने पर अधिक गहरा और दूर दूर होने पर घटता जाता है, इसलिए प्रतिमा के निकट परिक्रमा करने से दैवीय शक्ति के ज्योतिर्मंडल से निकलने वाले तेज की सहज ही प्राप्ति हो जाती है।

कैसे करें परिक्रमा :=

👉देवमूर्ति की परिक्रमा सदैव जैसे सूर्य देव पृथ्वी की परिक्रमा करते है ऐसे ही करनी चाहिए क्यों कि दैवीय शक्ति की आभामंडल की गति दक्षिणावर्ती होती है । उल्टी ओर से परिक्रमा करने पर दैवीय शक्ति के ज्योतिर्मडल की गति और हमारे अंदर विद्यमान दिव्य परमाणुओं में टकराव पैदा होता है, जिससे हमारा तेज नष्ट हो जाता है | जाने-अनजाने की गई उल्टी परिक्रमा का दुष्परिणाम भुगतना पड़ता है।

किस देव की कितनी परिक्रमा करनी चाहिये ? :=

👉वैसे तो सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की एक ही परिक्रमा की जाती है परंतु शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए परिक्रमा की अलग संख्या निर्धारित की गई है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान की परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इससे हमारे पाप नष्ट होते है। सभी देवताओं की परिक्रमा के संबंध में अलग-अलग नियम बताए गए हैं।

  1. महिलाओं द्वारा “वटवृक्ष” की परिक्रमा करना सौभाग्य का सूचक है।
  2. “शिवजी” की आधी परिक्रमा की जाती है शिव जी की परिक्रमा करने से बुरे खयालात और अनर्गल स्वप्नों का खात्मा होता है। भगवान शिव की परिक्रमा करते समय अभिषेक की धार को न लांघे।
  3. “देवी मां” की एक परिक्रमा की जानी चाहिए।
  4. “श्रीगणेश जी और हनुमानजी” की तीन परिक्रमा करने का विधान है गणेश जी की परिक्रमा करने से अपनी सोची हुई कई अतृप्त कामनाओं की तृप्ति होती है गणेशजी के विराट स्वरूप व मंत्र का विधिवत ध्यान करने पर कार्य सिद्ध होने लगते हैं।
  5. “भगवान विष्णुजी” एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए विष्णु जी की परिक्रमा करने से हृदय परिपुष्ट और संकल्प ऊर्जावान बनकर सकारात्मक सोच की वृद्धि करते हैं।
  6. सूर्य मंदिर की सात परिक्रमा करने से मन पवित्र और आनंद से भर उठता है तथा बुरे और कड़वे विचारों का विनाश होकर श्रेष्ठ विचार पोषित होते हैं हमें भास्कराय मंत्र का भी उच्चारण करना चाहिए, जो कई रोगों का नाशक है जैसे सूर्य को अर्घ्य देकर “ॐ भास्कराय नमः” का जाप करना देवी के मंदिर में महज एक परिक्रमा कर नवार्ण मंत्र का ध्यान जरूरी है; इससे सँजोए गए संकल्प और लक्ष्य सकारात्मक रूप लेते हैं।

परिक्रमा के संबंध में नियम :=

  1. परिक्रमा शुरु करने के पश्चात बीच में रुकना नहीं चाहिए; साथ ही परिक्रमा वहीं खत्म करें जहां से शुरु की गई थी ध्यान रखें कि परिक्रमा बीच में रोकने से वह पूर्ण नही मानी जाती।
  2. – परिक्रमा के दौरान किसी से बातचीत कतई ना करें जिस देवता की परिक्रमा कर रहे हैं, उनका ही ध्यान करें।
  3. उल्टी अर्थात बायें हाथ की तरफ परिक्रमा नहीं करनी चाहिये।

इस प्रकार देवी-देवताओं की परिक्रमा विधिवत करने से जीवन में हो रही उथल-पुथल व समस्याओं का समाधान सहज ही हो जाता है। इस प्रकार सही परिक्रमा करने से पूर्ण लाभ की प्राप्ति होती है। न्यूज टीम ने पंडित जी को परिक्रमा के बारे सरल भाषा में विस्तृत जानकारी देने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त किया।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जिला कुरुक्षेत्र के गांव धनिरामपुरा बगलामुखी धाम में माँ बगलामुखी प्रक्टोत्सव 22 फरवरी से 26 फरवरी।

Fri Feb 19 , 2021
जिला कुरुक्षेत्र के गांव धनिरामपुरा बगलामुखी धाम में माँ बगलामुखी प्रक्टोत्सव 22 फरवरी से 26 फरवरी। हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।दूरभाष – 94161-91877 कुरुक्षेत्र :- जिला कुरुक्षेत्र के गांव धनिरामपुरा पिहोवा माँ बगलामुखी धाम में उत्तरभारत में स्थापित अनेकों आश्रमों के परमाध्यक्ष महन्त बंशी पुरी जी महाराज के […]

You May Like

advertisement