भगवान शिव के परम शिष्य मार्कंडेय ऋषि का हुआ पूजन एवं अभिषेक

भगवान शिव के परम शिष्य मार्कंडेय ऋषि का हुआ पूजन एवं अभिषेक।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

महामृत्युंजय मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी : महंत जगन्नाथ पुरी।

कुरुक्षेत्र, 2 अप्रैल : मारकंडा नदी के तट पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में रविवार को भगवान शिव के परम भक्त ऋषि मार्कंडेय का सर्वकल्याण की भावना से अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी व अन्य संतों के सान्निध्य में पूजन एवं अभिषेक किया गया। विद्वान ब्राह्मणों द्वारा महामृत्युंजय मंत्र पाठ भी किया गया। रविवार ऋषि मार्कंडेय की पूजा का दिन होने के कारण मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।
इस मौके पर मंत्रोच्चारण के साथ यजमान डा. तरुण शर्मा, रविकांत शर्मा, संदीप शर्मा, सरपंच राजेश शर्मा एवं सुशील शर्मा ने अपने परिवार के साथ अभिषेक किया। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि शिवलिंग पर अभिषेक करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र का सरल अर्थ यह है कि हम त्रिनेत्र भगवान शिव का मन से स्मरण करते हैं। आप हमारे जीवन की मधुरता को पोषित और पुष्ट करते हैं। जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर अमृत की ओर अग्रसर हों। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी। प्राचीन समय में मृगशृंग ऋषि और सुव्रता की कोई संतान नहीं थी। तब उन्होंने भगवान शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया। भगवान शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि आपके भाग्य में संतान सुख नहीं है, लेकिन आपने तप किया है इसलिए हम आपको पुत्र प्राप्ति का वर देते हैं। लेकिन, ये संतान अल्पायु होगी, इसका जीवन 16 वर्ष का ही होगा। कुछ समय बाद ऋषि के यहां पुत्र का जन्म हुआ। उसका नाम मार्कंडेय रखा। माता-पिता ने पुत्र को ज्ञान प्राप्त करने के लिए अन्य ऋषियों के आश्रम में भेज दिया। इसी तरह 15 वर्ष व्यतीत हो गए। जब बालक मार्कंडेय अपने घर आया तो उसके माता-पिता दुखी थे। माता-पिता ने उसके अल्पायु होने की बात बताई।
मार्कंडेय ने कहा कि आप चिंता न करें, ऐसा कुछ नहीं होगा। मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगा। इस तरह एक वर्ष व्यतीत हो गया। मार्कंडेय की की आयु 16 वर्ष हो गई थी। यमराज उसके सामने प्रकट हुए तो बालक ने शिवलिंग को पकड़ लिया। यमराज उसे ले जाना चाहते थे, तभी वहां भगवान शिवजी प्रकट हुए। भगवान शिवजी ने कहा कि हम इस बालक की तपस्या से प्रसन्न हैं और इसे अमरता का वरदान देते हैं।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि भगवान शिव ने ऋषि मार्कंडेय से कहा कि अब से जो भी भक्त महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे और वह असमय मृत्यु के भय से भी बच जाएगा। इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद, मामराज मंगला, बिल्लू पुजारी, दलबीर सिंह, कुलबीर सिंह, मांगे राम नागरा, नसीब सिंह, सुक्खा सिंह, सरजा सिंह, नाजर सिंह, सरवन सिंह व राजिंदर सिंह इत्यादि भी मौजूद रहे।
मंदिर में पूजन करते हुए श्रद्धालु तथा महामृत्युंजय मंत्र जाप पाठ का महत्व बताते हुए महंत जगन्नाथ पुरी।

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