महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली : महन्त सर्वेश्वरी गिरि।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161- 91877
माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है : सर्वेश्वरी गिरि।
कुरुक्षेत्र पिहोवा :- श्री गोविन्दानंद आश्रम ठाकुरद्वारा पिहोवा की महन्त व संत सुरक्षा परिषद साध्वी प्रकोष्ठ की प्रदेशाध्यक्ष सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने नवरात्रों में आज अष्टमी का महत्व बताते हुए कहा कि नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। नवरात्रि के 8 वें दिन की देवी मां महागौरी हैं। मां गौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष, व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। महन्त सर्वेश्वरी गिरि ने कहा कि कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान है। ईशान में शिव सहित सभी देवताओं का निवास है इसीलिए इस अष्टमी का महत्व अधिक है। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। अधिकतर घरों में अष्टमी की पूजा होती है। देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं। उन्होंने कहा कि अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।