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हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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हिसार 5 अप्रैल : बनभौरी बरवाला में स्थित माँ भ्रामरी देवी शक्ति पीठ धाम में चतुर्थ नवरात्रि पर मां भ्रामरी देवी की आराधना की गई। धाम के पीठाध्यक्ष सतबीर कौशिक व शिव कौशिक के सानिध्य में मां भगवती की पूजा संपन्न की गई।
पीठाध्यक्ष सतबीर कौशिक ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां जगदंबा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। चतुर्थी तिथि को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अत: ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में माना जाता है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान है। कूष्मांडा संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा। कहते हैं कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है, इसलिए देवी दुर्गा का नाम कूष्मांडा पड़ा।
पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि मां कूष्मांडा की पूजा सुख-समृद्धि और उन्नतिदायक होती है। सिंह पर सवार मां कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति के समस्त कष्टों, दुखों और विपदाओं का नाश होता है। मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कूष्मांडा स्वरूप धारण किया था। देवी के कुष्मांडा रूप की उपासना से जीवन में पराक्रम और तेज की उत्पत्ति होती है। मां कूष्माण्डा का संबंध सूर्य ग्रह से है। इसलिए मां कूष्माण्डा की साधना का संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य, मानसिकता, प्रभावी व्यक्तित्व, रूप- यौवन, विद्या, प्रेम, उदर और प्रजनन तंत्र से है। देवी कूष्मांडा की आराधना से सूर्य और राहु ग्रह की पीड़ा का नाश होता है। साथ ही मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से संतान सुख भी मिलता है।
मंदिर में प्रतिदिन पीठाध्यक्ष रामनिवास कौशिक व पीठाध्यक्ष श्याम लाल कौशिक पूजा-अर्चना का संपादन कर रहे हैं। साथ में बनभौरी धाम ट्रस्ट के चेयरमैन सतवीर कौशिक, महासचिव शिवकुमार कौशिक, वाइस चेयरमैन राजेश कौशिक व कोषाध्यक्ष सुरेश कौशिक भी उपस्थित रहते हैं। मां भ्रामरी देवी शक्तिपीठ ट्रस्ट के मुख्य प्रशासक सुरेंद्र कौशिक के अनुसार धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है और व्यवस्था को बनाए रखने में अनेक कार्यकर्ता लगे हुए हैं।