श्री महाकाल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्री दुर्गा शतचंडी पाठ महायज्ञ में हुई माँ सिद्धिदात्री की पूजा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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छाया – धर्मवीर, मां कामाख्या ज्योतिष केंद्र।

पूर्णाहूति और विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न हुआ श्री दुर्गा शतचंडी पाठ महायज्ञ।

कुरूक्षेत्र,10 अप्रैल : जय मां दुर्गा जय श्री महाकाल ट्रस्ट कुरूक्षेत्र द्वारा चैत्र नवरात्रों के उपलक्ष्य में करवाए जा रहे श्री दुर्गा शतचंडी पाठ महायज्ञ में रविवार को मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा हुई।पूर्णाहूति और विशाल भंडारे के साथ श्री दुर्गा शतचंडी पाठ महायज्ञ सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम आयोजक राजेश मौदगिल,माँ शाकम्भरी देवी सेवक मंडल के अध्यक्ष अशोक शर्मा बाली, सचिव चन्द्रमौलि गौड़,रमेश कौशिक,अंकुश गुप्ता, सतीश गुप्ता और भीम सिंह परिवार एवं यजमानों ने कालेश्वर महादेव मंदिर के समीप मां बाला सुंदरी त्रिपुरेश्वरी श्री दुर्गा देवी यज्ञशाला मंदिर में पूजन किया।कार्यक्रम में महंत गुप्तगिरी महाराज (उज्जैन) के सान्निध्य में यज्ञाचार्य पंडित भरत बिंजोला ने यजमानों से हवन में आहुतियां डलवाई। हवन के पश्चात कन्यापूजन और महिला श्रद्धालुओं द्वारा कीर्तन किया गया।मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की व्याख्या करते हुए महंत रूद्र पुरी महाराज ने कहा कि माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य उसमें आ जाता है।मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह माँ सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करे।कार्यक्रम में पण्डित कंवर पाल भुस्तला,राकेश मौदगिल,कुमार सागर, मोनू पंडित,गोपाल शर्मा, मेघराज शर्मा, कंवरपाल,सौरव पंडित, रमेश शर्मा बारवा, राकेश कंसल, अनुराग कौशिक, आशुतोष, राहुल, मोहित, रमाकांत पाठक, पंकज तिवारी, लवकेश व्यास,शौर्य पंडित वृंदावन,अमित शुक्ला, गोपाल, रक्षित, हर्षित और राधेश्याम आदि शामिल रहे।

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