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प्राचीन श्री दुर्गा माता एवं राधा कृष्ण मंदिर में मां का पंचोपचार पूजन किया

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी दूरभाष – 9416191877

मां की स्तुति समग्र नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने वाली : कुलपति वैद्य करतार सिंह।
कुलपति वैद्य करतार सिंह धीमान को प्रोफेसर राजा सिंगला ने चुनरी ओढ़ाकर किया सम्मानित।

कुरुक्षेत्र, 26 सितंबर : ब्रह्मसरोवर तट स्थित प्राचीन श्री दुर्गा माता एवं राधा कृष्ण मंदिर में आश्विन मास नवरात्र महोत्सव पर मां का पंचोपचार पूजन किया गया। मंदिर में मां लक्ष्मी जी को प्रसन्नतीर्थ अष्ट दिवसीय पाठ में पांच ब्राह्मणों ने सुबह सात से सायं साढ़े छह बजे तक मां के बीज मंत्र का जाप किया। दिन भर मंदिर में श्रद्धालुओं का आगमन होता रहा। सायं को मां दुर्गा की महाआरती की गई, जिसमें मुख्य यजमान श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान रहे। मंदिर संचालक पंडित तुषार कौशिक ने गणेश गौरी पूजन करवाने के बाद महाआरती का स्तुति की। कुलपति ने मां को प्रसन्न करने के लिए लाल चुनरी, श्रृंगार का सामान, नारियल और प्रसाद चढ़ाया। विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर राजा सिंगला ने मुख्य यजमान कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान को मां की लाल चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया। पंडित तुषार कौशिक ने मां का प्रसाद भेंट किया। इसके बाद चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर राजा सिंगला को मंदिर कमेटी के सदस्य नीलकंठ शर्मा ने मां की लाल चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया।
कुलपति प्रोफेसर वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि मां की स्तुति समग्र नकारात्मक शक्तियों का विनाश करने वाली है। जिस प्रकार मोह ग्रस्त अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का संदेश दिया था उसी प्रकार मां की स्तुति समग्र चिंताओं, अवसाद का नाश करने वाली है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी चंडी दी वार मां की स्तुति की रचना की थी। मंदिर में नियमित चल रहे पाठ से यहां का आभामंडल जागृत हुआ महसूस हो रहा है। जिस प्रकार रेडियो चलाने से ही अदृश्य फ्रीक्वेंसी को पकड़ता है। उसी प्रकार मां के मंत्रों में अद्भुत ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिसे मंदिर परिसर में प्रवेश करते से महसूस किया जा सकता है। मंत्रों की अपनी फ्रीक्वेंसी है, जिसे अब वैज्ञानिक रूप से भी दर्ज किया जा रहा है। आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजा सिंगला ने कहा कि आयुर्वेद में तो कुछ औषधियों का सेवन करने के लिए भी कुछ विशेष नक्षत्रों का समय देखा जाता है। हर समय की अपनी ऊर्जा होती है। इस सृष्टि में हर तत्व की अपनी ऊर्जा होती है। इसे अनुभूत करना होता है। पंडित तुषार कौशिक ने कहा कि मां नवदुर्गा की पूजा फलदायी होती है। मां दुर्गा के रूप में नौ माता के स्वरूप विद्यमान है। जिस भी श्रद्धालु को अपनी कुलदेवी के बारे में पता नहीं होता। वह ब्रह्मसरोवर तट स्थित नवदुर्गा मंदिर में मां के स्वरूप को कुलदेवी के रूप में पूजन कर सकता है जो स्वीकार्य है। यही वह तीर्थ स्थल है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने सूर्यग्रहण के समय पर वास किया था।

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