यज्ञ और वेदों का है अन्योन्याश्रय संबंध : स्वामी हरिओम महाराज

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ का दसवां दिन।

कुरुक्षेत्र,31अक्तूबर :- मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश-हरिद्वार द्वारा थीम पार्क में 501 कुंडीय लक्षचंडी महायज्ञ में यज्ञ सम्राट हरिओम महाराज ने यज्ञ की महिमा पर विस्तार से चर्चा की। शनिवार सायंकालीन आरती में राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय संचालिका बहन शांताराव आक्का (कर्नाटक) ,दिल्ली के कई विधायक,कुरुक्षेत्र पुलिस अधीक्षक धीरज कुमार सेतिया,राजेन्द्र लोहिया सिरसा,दिनेश सिन्हानिया,संजय कण्ड़ु रोहतक, सुधीर गोहाना, कान्ता सिवाच, सुरेन्द्र अहलावत, पवन खरखौदा, निरंजन गुरूग्राम, सुशील ठाकुर और नरेंद्र चहल कलायत सहित प्रदेश के कई शासकीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया।यज्ञ सम्राट हरिओम महाराज ने यज्ञ की महिमा पर बोलते हुए कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ। ‘यज्ञ’ शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण। भारतीय संस्कृति में यज्ञ का व्यापक अर्थ है, यज्ञ मात्र अग्निहोत्र को ही नहीं कहते हैं वरन् परमार्थ परायण कार्य भी यज्ञ है। यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है। यज्ञ का प्रचलन वैदिक युग से है, वेदों में यज्ञ की विस्तार से चर्चा की गयी है, बिना यज्ञ के वेदों का उपयोग कहां होगा और वेदों के बिना यज्ञ कार्य भी कैसे पूर्ण हो सकता है।यज्ञ और वेदों का अन्योन्याश्रय संबंध है।जिस प्रकार मिट्टी में मिला अन्न कण सौ गुना हो जाता है, उसी प्रकार अग्नि से मिला पदार्थ लाख गुना हो जाता है।अग्नि के सम्पर्क में कोई भी द्रव्य आने पर वह सूक्ष्मीभूत होकर पूरे वातावरण में फैल जाता है और अपने गुण से लोगों को प्रभावित करता है। इसको इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे लाल मिर्च को अग्नि में डालने पर वह अपने गुण से लोगों को प्रताडि़त करती है इसी तर सामग्री में उपस्थित स्वास्थ्यवद्र्धक औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती है तब वह अपना औषधीय प्रभाव व्यक्ति के स्थूल व सूक्ष्म शरीर पर दिखाती है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता चला जाता है। मनुष्य के शरीर में स्नायु संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, प्रजनन संस्थान, मूत्र संस्थान, कंकाल संस्थान, रक्तवह संस्थान आदि सहित अन्य अंग होते हैं उपरिलिखित हवन सामग्री में इन सभी संस्थानों व शरीर के सभी अंगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली औषधियां मिश्रित हैं। यह औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती हैं तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह सभी औषधियां अपने-अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। इसके अलावा हमारे मनरूपी सूक्ष्म शरीर को भी स्वस्थ रखती हैं।यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार की राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद, और महामंडलेश्वर विकास दास महाराज मोहड़ा धाम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। लक्षचंडी महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष कुलदीप शर्मा गोल्डी, अशोक शर्मा, आशुतोष गोस्वामी, राजेश मौदगिल, विजयंत बिंदल,पार्षद भारत भूषण सिंगला,राहुल तंवर व सतपाल द्विवेदी सहित व्यवस्था में जुटे समस्त कार्यकर्ताओं ने सभी संतों का स्वागत किया।रविवार सुबह सभी संतों ने लक्षचंडी महायज्ञ में आहुतियां दी। कार्यक्रम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री बालकिशन, खंड कार्यवाह राजीव, दिनेश कुमार जींद, आरएसएस विभाग कार्यवाह डा.प्रीतम, डा. मनीष, परुषोतम सिंह ठाकरान, अनुज, सह जिला संघचालक रणजीत, सोनू मल्होत्रा, दीपक सचदेवा, इकबाल लुखी, डा. संजीव शर्मा,अतुल शास्त्री, इश्वर सिंह,बलबीर सिंह, परीक्षित शर्मा, राहुल पांचाल, लखीराम,कृष्णा, लीलूराम हिसार, सोमप्रकाश कौशिक, ओमप्रकाश लुखी, सतीश शर्मा, सतीश मित्तल,रमण बंसल,ओमप्रकाश जलगांव, रमेश कौशिक, हरीश शर्मा,जनकराज सिरसा, बी.डी.गौड़ चंडीगढ़, सीमा लोहिया व ममता गोयल सिरसा, देवेंद्र शर्मा,हरि प्रकाश शर्मा सोनीपत, हरीश अरोड़ा,कंवरपाल शर्मा, सरजन्त सिंह,अनिल देवगण,भगवत दयाल शर्मा,अनिल राणा सफीदों, सुरेन्द्र शर्मा, मुनीष राव,राज सिंह मलिक,दीपक शर्मा, कमल शर्मा, कृष्ण दहिया सिसाना, राजीव सैनी, विजेंद्र सिंह,अनिल डागर, ईश्वर शामड़ी, विवेकमेहताआर.डी.शर्मा सहित अन्य श्रद्धालु शामिल रहे।

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