प्रान्तीय शिविर में आर्यवीरों का हुआ यज्ञोपवीत संस्कार

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

युवाओं ने समाज से नशाखोरी, अज्ञानता, पाखण्ड को दूर करने का लिया संकल्प।

कुरुक्षेत्र, 04 जून : गुरुकुल में चल रहे प्रान्तीय आर्यवीर दल शिविर में आज सभी आर्यवीरों का यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हुआ। आचार्य दयाशंकर शास्त्री जी के मार्गदर्शन वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सभी आर्यवीरों ने जनेऊ धारण किया। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत के ये तीन धागे हमें अपने देवों के प्रति, हमारे ऋषियों के प्रति तथा हमारे माता-पिता के प्रति हमारे जो ऋण, कत्र्तव्य और दायित्व हैं उनका स्मरण कराते हैं। पहला ऋण माता-पिता का ऋण है, दूसरा ऋण गुरुओं का ऋण है तथा तीसरा ऋण ऋषि ऋण होता है, हमें इन तीनों ऋणों से उऋण होने के लिए अच्छे आचरण और उत्तम कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत धारण करने वाले युवा भाग्यशाली है, यह कोई मामूली धागा नहीं है मुगलकाल में वीर हकीकत राय ने वैदिक धर्म निभाते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया था। उन्होंने चोटी और यज्ञोपवीत उतारने की बजाए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी इसलिए वैदिक संस्कृति में यज्ञोपवीत का बड़ा महत्त्व है। यज्ञोपवीत संस्कार के उपरान्त सभी आर्यवीरों ने समाज से पाखण्ड, अंधविश्वास आदि बुराइयों को मिटाने का संकल्प लिया। इस दौरान युवाओं ने भारी संख्या में हाथों व गले में पहने हुए काले धागे, कंडे-ताबीज आदि उतारकर पांखण्ड से दूर रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर भजनोपदेशक महाशय जयपाल आर्य, प्रचार प्रमुख विशाल आर्य, वरिष्ठ योग शिक्षक सूर्यदेव आर्य, व्यायाम शिक्षक संदीप वैदिक, अमित आर्य, सोहनवीर आर्य, नरेश आर्य, महावीर आर्य, सुरेन्द्र आर्य, आर्यमित्र आर्य सहित सभी प्रशिक्षक मौजूद रहे।
शिविर संयोजक संजीव आर्य ने आर्यवीरों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुण और अवगुण सभी में होते हैं मगर जो लोग अपने अवगुणों को दूर करके गुणों का विकास करते हैं, हमेशा समाज कल्याण के कार्य हेतु तत्पर रहते हैं वहीं जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुंचते हैं। हमें अपने आचरण और व्यवहार में मधुरता लानी चाहिए, दूसरों से जैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं, स्वयं भी वैसा ही व्यवहार करें। छोटी-छोटी बातों पर निराश न हों, असफलताओं से कतई न घबराएं बल्कि समय के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकाग्रचित्र होकर लगातार प्रयत्न करें, आप अवश्य सफल होंगे। भजनोपदेशक जयपाल आर्य व जसविन्द्र आर्य की टीम ने राष्ट्रप्रेम और प्रभु भक्ति के भजन सुनाकर आर्यवीरों को ईश्वर और राष्ट्र के प्रति कत्र्तव्यों को हमेशा याद रखने का आह्वान किया।
बता दें कि महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देव्रवत जी की प्रेरणा एवं आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाण के तत्त्वावधान में चल रहे प्रान्तीय आर्य वीर दल शिविर में कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जीन्द, हिसार जिलों के विभिन्न गाँवों से 600 युवा भाग ले रहे हैं जिन्हें आर्य वीर दल के 20 से अधिक शिक्षकों द्वारा जूड़ो-कराटे, लाठी संचलन, डम्बल, लेजियम, स्तूप-निर्माण, दंड-बैठक तथा विभिन्न योगासनों के शारीरिक प्रशिक्षण के अतिरिक्त महाशय जयपाल आर्य, जसविन्द्र आर्य, संदीप वैदिक आदि विद्वानों द्वारा बौद्धिक ज्ञान भी प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिविर में युवाओं को नशाखोरी, कन्या भ्रूण हत्या, पाखण्ड, गुरुड़म जैसी बुराइयों को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिससे वे न केवल अपना जीवन सुधार सके बल्कि दूसरे युवाओं को भी सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

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