समाज के स्वास्थ्य और कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है योग: प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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संयमित जीवन और उच्च विचारों के लिए प्रतिदिन योग करने का जीवन में भरें संकल्प प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
कुरुक्षेत्र : योग प्राचीन भारतीय संस्कृति की अनमोल देन है पूरे विश्व को शरीर को मन के साथ, मन को आत्मा और आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का नाम ही योग है। योग हमारे स्वास्थ्य एवं कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है। कुरुक्षेत्र श्रीमद्भागवत गीता की जन्मस्थली है। गीता का हर अध्याय योग से सम्बन्धित है। अर्जुन विषाद योग अर्थात अर्जुन जब महाभारत युद्ध में अपने प्रियजनों को देखकर विषाद से ग्रस्त हुआ, इसलिए उस अध्याय को अर्जुन विषाद योग कहा जाता है। इसी तरह सांख्य योग, कर्म योग और सबसे अंत में मोक्ष सन्यास योग आता है। अर्थात गीता का प्रत्येक अध्याय किसी न किसी योग से जुड़ा हुआ है। ऐसी पवित्र भूमि और श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय जहां पर आयुर्वेद के साथ योग, जो आयुष के पांच अवयवों में से एक है उसके प्रांगण में उपस्थित होकर योग करना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। ये बातें कुलपति सोमनाथ सचदेवा द्वारा आयुष विवि के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय एवं भारत विकास परिषद की कुरुक्षेत्र जिला इकाई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इससे पहले कार्यक्रम की शुभारंभ महर्षि पतंजलि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई। स्वस्थवृत विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. सीमा ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सोमनाथ सचदेवा, विशिष्ट अतिथि, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष पवन गुप्ता और गणमान्यों का स्वागत पुष्पगुच्छ के साथ किया। योग शिक्षक योगेंद्र कुमार ने योग की सरल क्रियाओं का अभ्यास करवाया और आयुर्वेद के पीजी स्कॉलर द्वारा एडवांस योगा की मुद्राओं का प्रदर्शन किया गया। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के दूसरे अध्याय के 48 वें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं आसक्ति को त्याग कर, कर्तव्य कर्म करना ही तुम्हारे लिए श्रेष्ठकर है। अर्थात बिना विचलित हुए और बिना व्यथित हुए कौशलपूर्ण कर्म करना ही योग है। योग के आठ अवयव हैं तीसरे अवयव आसन को करने से व्यक्ति का बाहरी शरीर मजबूत बनता है और भीतरी मजबूती प्राणायाम से बनती है इसके साथ ही ध्यान करने से मनुष्य आध्यात्म की ओर प्रवृत होता है अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। ये समग्र दृष्टिकोण ही भारतीय संस्कृति की विश्व को देन है। संयुक्त राष्ट्र संघ में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योग को विश्व पटल पर मान्यता दिलाने का प्रस्ताव रखा गया, तब कुल 177 देशों ने ध्वनि मत से इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। जो भारत के लिए गौरव की बात है। इसलिए इस योग दिवस पर देश के प्रत्येक नागरिक को प्रतिदिन 35 से 40 मिनट योग अभ्यास करने का संकल्प लेना चाहिए। योगाभ्यास से व्यक्ति का जीवन संयमित बनता और विचार उच्च बनते हैं, और आज जो विश्वव्यापी चुनौतियां देश दुनिया के सामने पहाड़ सी बन खड़ी हैं, पर्यावरण संकट हो या फिर जल संकट इन सब का सामना सबके सहयोग और समाज की सज्जन शक्ति के द्वारा ही संभव होगा। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव नरेश भार्गव ने सभी अतिथियों और कार्यक्रम की आयोजक टीम को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जब यूएनओ महासभा के अन्दर योग को पूरे विश्व में मनाए जाने के लिए प्रस्ताव पारित हुआ, तब श्री-श्री रविशंकर जी ने कहा था कि किसी धर्म, दर्शन और संस्कृति के लिए राज्य के संरक्षण के बिना जीवित रहना मुश्किल है। योग एक अनाथ बालक की तरह अब तक अस्तित्व में था अब संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकारिक मान्यता योग के लाभ को विश्वभर में फैलाएगी। वसुधैव कुटुबंकम् के लिए योग अर्थात एक विश्व, एक स्वास्थ्य, इस ध्येय को चरितार्थ करने के लिए श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय परिवार निरंतर प्रयास कर रहा है। इसके लिए योग वेलनेस कोर्स के साथ ही एक साल का डिप्लोमा कोर्स भी विश्वविद्यालय में शुरू किया गया है। इसके साथ ही समय-समय पर विश्वविद्यालय द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता और योग के शिविर भी लगाए जाते हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना, डॉ. राका जैन, डॉ. कृष्णा जाटियान डॉ. शीतल महादिक, डॉ. राजा सिंगला, और भारत विकास से डॉ. अशोक चौधरी, रमेश गुलाटी, अतुल गोयल, हरविंद्र बंसल, डॉ. हरि प्रकाश, दिनेश सिंगल, डॉ. अनुज व शारदा गुलाटी उपस्थित रहे।