शरीर, मन व जीवन को संतुलित बनाने का माध्यम है योग : प्रोफेसर सोमनाथ

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शिक्षको, अशैक्षणिक कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं व अन्य योग साधकों ने कोविड प्रोटोकॉल से किए योगासन।

कुरुक्षेत्र 21 जून :- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा है कि हमारे देश की ऋषि परम्परा योग को आज पूरा विश्व अपना रहा है। आज दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह भारतीय प्राचीन गौरवशाली संस्कृति का सम्मान है। आज इस महामारी के दौर में योग की प्रासंगिकता सम्पूर्ण विश्व में स्थापित हुई है। यह भारत व उसकी जीवन पद्धति को सम्मान है।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के न्यू जिम्रेजियम हॉल में सोमवार की प्रातः अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के खेल निदेशालय के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की अगुवाई में विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं ने कोविड प्रोटोकॉल के साथ योग की विभिन्न मुद्राओं में आसन किए।
इस मौके पर उन्होंने सभी से अपील की कि वे योग को जीवन में एक दिन नहीं बल्कि अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं। जब लोग स्वस्थ होंगे, तब उनके विचार सकारात्मक होंगे और वे देश व समाज के विकास में अपनी भूमिका निभा सकेंगे। जीवन में खुशी व आनंद के लिए योग को अपनाना जरूरी है। योग को जीवन शैली का हिस्सा बनाकर हम अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। मनुष्य जीवन सफल और सुखमय बने इसके लिए योग अति आवश्यक है।
कुलपति ने कहा कि 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को प्रस्ताव रखा था जिसे दुनिया के 177 से अधिक देशो का समर्थन मिला। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के भागीरथी प्रयास का ही परिणाम है कि भारत की इस प्राचीन परम्परा को विश्व पटल पर प्रदर्शित करने का एक श्रेष्ठ प्रयास हुआ है। योग 5000 वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जो व्यक्ति व प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने की कला है। योग के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी जीवन शैली को बदलकर अपने परिवार, समाज व देश की तकदीर को बदल सकता है। आज के इस कठिन काल में चिकित्सा विज्ञान ने भी योग के महत्व को स्वीकारा है। महर्षि पतंजलि के योग सूत्र को आज पूरा विश्व अपना रहा है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि हमारे देश की गौरवशाली संस्कृति को योग से दुनिया में एक अलग पहचान मिली है। यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। अध्यात्म व योग भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। भारत ने हमेशा दुनिया को शांति, प्यार, प्रेम, आपसी भाईचारे की राह दिखाई है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनियाभर के लोगों को स्वस्थ रखने व स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहने का प्रयास है। आज की भागदौड़ भरे जीवन में योग धरती पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी है। तनाव, अवसाद जैसी समस्याओं का उपचार योग है। हमारे आस-पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान हैं जो तनाव, थकान तथा चिडचिड़ाहट को जन्म देते हैं जिससे हमारी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है। आज का विकास हमें कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त कर रहा है। अनिद्रा, अवसाद, अजनबियत और एक तरह की अनास्था। इस तरह के रोगों से दुनियाभर के लोग ग्रसित होते जा रहे हैं। जीवन में सुख-सुविधा के साधन बढ़ रहे हैं लेकिन जीवन की गुणवत्ता घट रही है। जीवन में खुशी व आनंद के लिए योग को अपनाना जरूरी है। योग को जीवन शैली का हिस्सा बनाकर हम अपने जीवन की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
कुलपति ने कहा कि विश्वभर में आज जिस तरह का वातावरण है ऐसे में भारतीय अध्यात्म एवं योग ही दुनिया को एक नई दिशा दे सकता है। ईर्ष्या, द्वेष, टकराव, आतंकवाद जैसी समस्याओं का हल योग है। लोग जब स्वस्थ होंगे तो उससे समाज व देश भी खुशहाल बनेंगे। योग जीवन जीने की कला है। योग एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है।
उन्होंने कहा कि प्रतिदिन दिन के 24 घंटे में से महज कुछ मिनट का ही प्रयोग यदि योग में उपयोग करते हैं तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने हेतु आसन प्राणायाम को कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसी कारण आज बहुत से लोग योग से लाभान्वित हो रहे हैं। योग हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। योग के माध्यम से आत्मिक संतुष्टि, शांति और ऊर्जावान चेतना की अनुभूति प्राप्त होती है, जिससे हमारा जीवन तनाव मुक्त तथा हर दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढता है।
कुलपति ने कहा कि आज योग को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है ताकि हम खुद भी स्वस्थ रहें व दूसरों को भी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकें। गीता में लिखा है, योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है। आइये हम भी इस यात्रा में शामिल हो जाएं और इस जीवन को सफल बनाएं।
प्रो. सोमनाथ ने कहा कि वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम बी विद योगा, बी एट होम रखा गया है। इसका उद्देश्य घर रहकर योग के माध्यम से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को हराना तथा दुनिया में योग के प्रति चेतना पैदा करना है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप सभी योग को नियमित रूप से अपनाएं। स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन में नए मुकाम हासिल कर सकता है। विकसित व नए भारत के सपने को योग को जीवन में धारण कर ही प्राप्त किया जा सकता है।
खेल निदेशालय के निदेशक राजेश सोबती ने योग के महत्व के बारे में बताया और मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस मौके पर शारीरिक शिक्षा विभाग की योग शिक्षिका डॉ. रजनी त्रिपाठी ने मंच का संचालन करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए निर्धारित विभिन्न योग क्रियायें करवाई तथा प्रत्येक क्रिया के महत्व को समझाया। विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के छात्रों ने योग क्रियाएं प्रदर्शित की व योग साधकों ने उनका अनुसरण किया । कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रार्थना से हुआ व उसके बाद सभी योग साधकों को ताडासन, वृक्षासन, अर्धचक्रासन, भद्रआसन, शशांकासन, कपालभाति, शीतली प्राणायाम, वक्रासन, भुजंगासन, शवासन, अनुलोम-विलोम सहित विभिन्न योग क्रियाएॅं कराई गई।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. मंजूला चौधरी, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर अनिल वशिष्ठ, प्रो. डीएस राणा, प्रो. उषा लोहान, प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. नीलम ढांडा, प्रो. प्रदीप कुमार, डॉ. चांद जिलोवा, लोक सम्पर्क विभाग के उप-निदेशक डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. महावीर रंगा, डॉ. हरदीप जोशी, डॉ. महासिंह पूनिया, कुटा प्रधान डॉ. परमेश कुमार, डॉ. गुरचरण सिंह सहित अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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