योग भारत के सनातन वैदिक संस्कृति की प्राचीन परंपरा,सम्पूर्ण संसार को एक अमूल्य उपहार : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

योग भारत के सनातन वैदिक संस्कृति की प्राचीन परंपरा,सम्पूर्ण संसार को एक अमूल्य उपहार : डा. श्रीप्रकाश मिश्र।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय योग संवाद एवं योगभ्यास कार्यक्रम सम्पन्न।

कुरुक्षेत्र 21 जून: योग न तो आस्था का विषय है, न अंधविश्वास का; वास्तव में यह एक सुपरिभाषित दर्शन, व्याकरण और ‘समग्रता’ पर आधारित लक्ष्य का एक विषय है। यह भारत की विश्व दृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक है और व्यक्तित्व को अस्तित्व के सभी स्तरों के साथ एकात्म करने की चेष्टा करता है। यह यथार्थ या ब्रह्मांड के पूर्व विचारित सिद्धांतों के स्थान पर स्वयं ही सारी चीजों तक पहुंचने का प्रयास है। भारत के लिए, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का अर्थ है, वैश्वीकृत हो चुकी दुनिया द्वारा भारत की ओर से मानवता को दिए गए सर्वश्रेष्ठ उपहार के रूप में योग को मान्यता देने के अवसर का उत्सव मनाना। यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित त्रिदिवसीय योग संवाद कार्यक्रम के समापन अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ कल्याण मंत्र से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थिओं ने बहुत अनुशासित रूप से योगभ्यास किया। डा श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा योग की परिभाषा हमारे ग्रंथों में अलग-अलग है परंतु इसका सीधा संबंध मानव शरीर के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है योग हमें प्रकृति से जोड़ता है। योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं।भारत में योग का इतिहास हजारों साल पुराना है। हमारे ऋषियों-मुनियों का पूरा जीवन ही योगमय रहा है। भारत में योग की परंपरा उतनी ही पुरानी है जितनी कि भारतीय संस्कृति। मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं। योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई थी इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ। यूं समझ लीजिए की भारतीय जीवन में योग की साधना हर काल में होती आई है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने योग के महत्व को बताते हुए कहा योगासन, शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ावा देने के साथ मन को शांत करते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए योगासनों का नियमित अभ्यास आपके लिए काफी मददगार हो सकता है। योग का अभ्यास शरीर, श्वास और मन को जोड़ता है।योग की बात होती है तो पतंजलि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। क्योंकि पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था। योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है जो न केवल देश में बल्कि एशिया, मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के भिन्न- भिन्न भागों में फैला हुआ है।योग निश्चित ही विश्व को भारत की अमूल्य देन है। भारत के प्रयासों से ही संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की मान्यता प्रदान की। योग संवाद कार्यक्रम मे आश्रम के ब्राम्हचारी, सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ से हुआ।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

नवीन जयहिंद ने मोटे नेताओं को लिया आड़े हाथ, ढोंगी व भोगी बने योगी, ढोलक नेता कर रहे गुमराह : नवीन जयहिंद

Wed Jun 21 , 2023
नवीन जयहिंद ने मोटे नेताओं को लिया आड़े हाथ, ढोंगी व भोगी बने योगी, ढोलक नेता कर रहे गुमराह : नवीन जयहिंद। हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक। रोहतक : हरियाणा के रोहतक से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर नवीन जयहिंद ने फेसबुक पर लाइव आकर एक दिन के लिए […]

You May Like

Breaking News

advertisement