दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी डॉक्टर सर्वेश्वर जी ने भगवान शिव जी के बारे में विस्तार से अवगत कराया
फिरोजपुर 21 अगस्त {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा शंकर कॉलोनी के पुष्प वाटिका पार्क में शिव आराधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अपने प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी डॉ. सर्वेश्वर जी ने कहा कि भगवान शिव सृष्टि के कण-कण में स्पंदनशील है। भगवान शिव की वैश्विक उपस्थिति भारत के कोने-कोने में पाए जाने वाले ज्योतिर्लिंगों से स्पष्ट होती है। भगवान शिव का प्रत्येक नाम, उनकी वेशभूषा, उनका आचरण हमें अध्यात्म के किसी ना किसी पक्ष से संबंधित ज्ञान प्रदान करता है। भगवान शिव द्वारा समुद्र मंथन के समय घोर हलाहल विष का पान करने की लीला एक संदेश देती है कि हमें हमारे अंतःकरण में ज्ञान की मथनी के माध्यम से मंथन कर विषय-विकारों को बाहर निकालकर घट में परमात्मा के अमृत को प्राप्त करना है। आज प्रत्येक मानव अपने भीतर के विषय विकारों की अग्नि में ही जलकर अशांत है। उस शांति की प्राप्ति हेतु प्रत्येक मानव को घट में अमृत को प्राप्त करना होगा। हमारे शास्त्र ग्रंथों के अनुसार मानव का जो शरीर है वह पांच तत्वों से निर्मित है और उसका मस्तक रूपी भाग आकाश तत्व से बना है जिसे गगन मंडल भी कहा जाता है। जिस गगन मंडल में अमृत का कुण्ड है, जहां ब्रह्म का वास है। भगवान शिव के मस्तक सुशोभित गंगा भी हमें हमारे मस्तक रुपी गगन मंडल में स्थित अमृत-कुंड को प्राप्त करने का ही संदेश देती है। यदि हम उस अमृत की धार को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें एक गुरु की कृपा से अंतर्जगत में उतरकर उस अमृत पान की युक्ति को जानना होगा।
स्वामी जी ने आगे बताया कि भगवान शिव के गले में पहनी हुई नरमुण्ड माला प्रत्येक जीव के आवागमन के चक्र को दर्शाती है। जैसे ही माता पार्वती भगवान शिव से ज्ञान प्राप्त कर अमरता को प्राप्त हो गई, शिव भगवान के गले में पहने नरमुण्डों की संख्या 108 पर आ कर रुक गई। ऐसे ही हमें भी उस ईश्वर के तत्व स्वरूप से जुड़कर आवागमन के चक्र से मुक्ति को प्राप्त करना है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी आज वह दिव्य दृष्टि प्रदान कर उसी तत्व स्वरूप का दर्शन हर प्राणी के घट में करवा रहे हैं। जिसके साथ जुड़कर मानव समस्त दुःख बन्धनों को काटकर सदा-सदा के लिए मोक्ष पथ का अनुगामी होता है। साध्वी सोनिया भारती और साध्वी दिपाली भारती ने भोलेनाथ के भजनों का गायन किया।स्वामी धीरानंद,डॉ दर्शन आहूजा, अरूण अग्रवाल,अक्षय बंसल,कृष्ण खारीवाल,महिंदर सैनी,राजा राम ढाका, बिरमाराम ज्याणी आदि ने प्रभु की पावन आरती में विशेष रूप से हिस्सा लिया।