अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में गीता प्रवचनों का 15 वां दिन, दूसरा अध्याय सम्पूर्ण।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक। दूरभाष – 9416191877
कुरुक्षेत्र, 9 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर में चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 15 वें दिन मंगलवार सायं गीता के दूसरे अध्याय के 72वें श्लोकों तक विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिया गया। इस तरह गीता का दूसरा अध्याय सम्पूर्ण हुआ। आश्रम प्रवक्ता डॉ.पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि ब्रह्मलीन डॉ.हिम्मत सिंह सिन्हा और ब्रह्मलीन चित्रा नागरकट्टे की मधुर यादगार में आयोजित इस कार्यक्रम में समाजसेवी सतपाल शर्मा पिपली और पतंजलि योग समिति के सदस्य जयप्रकाश पंवार को महामंडलेश्वर डॉ.शाश्वातानंद गिरि जी महाराज ने आशीर्वाद देकर सम्मानित किया। मंच पर दोनों अतिथियों ने भी गीता पर संक्षेप व्याख्यान दिया।श्रीमद्भगवद्गीता प्रवचनों में डॉ.शाश्वातानंद गिरि ने कहा कि कुरुक्षेत्र का युद्ध भगवान् की इच्छा होने के कारण अपरिहार्य था और सत्य के लिए युद्ध करना क्षत्रिय का धर्म है। अत: अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वह स्वजनों की मृत्यु से भयभीत या शोकाकुल क्यों था ? वह विधि (कानून) को भंग नहीं करना चाहता था क्योंकि ऐसा करने पर उसे उन पापकर्मों के फल भोगने पडेंगे जिनसे वह अत्यन्त भयभीत था। अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वह स्वजनों की मृत्यु को रोक नहीं सकता था और यदि वह अनुचित कर्तव्य-पथ का चुनाव करे, तो उसे नीचे गिरना होगा। प्रवचनों में आगे बोलते हुए उन्होनें कहा कि सम्पूर्ण प्राणियों के लिए जो रात्रि के समान है, उस नित्य ज्ञान स्वरूप परमानंद की प्राप्ति में स्थितप्रज्ञ योगी जागता है और जिस नाशवान सांसारिक सुख की प्राप्ति में सब प्राणी जागते हैं, परमात्मा के तत्व को जानने वाले मुनि के लिए ये वह रात्रि के समान है। इसमें श्रीकृष्ण की यह बात गहरी है और समझनी पड़ेगी, जो सबके लिए रात है उस रात में योगी परमात्मा के लिए और ज्ञान के लिए जागता है और साधना करता है और जो सबके लिए सांसारिक सुख है, जिसके लिए संसार में हर कोई जागता है, वह सुख योगी के लिए रात के समान है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब सब सोते हैं तो मेहनती बच्चा रात में जाग कर पढता है और परीक्षा में वह ही अव्वल आता है। कार्यक्रम में आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा,श्वेता दीदी,कुसुम सैनी,परीक्षित कौशिक, नारायण सिंह,मुकुल शरण,विजय कुमार, भूपेन्द्र धर्माणी, प्रेम नारायण शुक्ल,मन्नु दत्त कौशिक,गो सेवक सतपाल शेरा,मास्टर कृपाल सिंह,शिव कुमार कोलापुर, बलदेव सैनी,पवन भारद्वाज,शिव शंकर शास्त्री,भूपेन्द्र शर्मा,विष्णु दत्त,इन्दु शर्मा,ऊषा रानी, मीना शर्मा,कुसुम चौहान, नीलम रानी, सुनीता , परमजीत कौर, दर्शना,सुलोचना, प्रकाश रानी, बिमला,राज रानी,विवेक आन्नद, सतपाल शर्मा, जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुभाष, राजेन्द्र,सुरेन्द्र गुप्ता,आर डी शर्मा,जय प्रकाश, सुरेश कुमार और मुकेश मित्तल आदि उपस्थित रहे।