नैतिक मूल्यों से सुसंस्कृत युवा वर्ग ही समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में दे सकता है अहम योगदान : प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा इस्कॉन कुरुक्षेत्र के बीच हुआ एमओयू।
कुरुक्षेत्र, 15 सितम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कमेटी रूम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा इस्कॉन कुरुक्षेत्र के बीच एमओयू पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा तथा इस्कॉन कुरुक्षेत्र के वाइस प्रेजिडेंट मोहन गौरचन्द्र दास ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिड एंड ऑनर्स स्टडीज विभाग के सभी ग्रेजुएट एवं इंटीग्रेटिड प्रोग्राम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी सत्र से लागू की गई है, जिसके अन्तर्गत विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘मानवीय मूल्य एवं नीतिशास्त्र’ विषय पर आधारित कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। इस के अन्तर्गत ‘गीता-ज्ञान से मानवीय गुणों के विकास’ विषय पर कोर्स के लिए इस्कॉन कुरुक्षेत्र से एमओयू किया गया है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने इस एमओयू को स्वीकृति एवं सभी को बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा देने साथ-साथ उनके आचरण में नैतिक गुणों को आत्मसात कर उनके सशक्त चरित्र-निर्माण के लिए एक सतत् प्रयास है। इस एमओयू द्वारा इस्कॉन तथा केयू आपस में विस्तार गतिविधियां व शोध कार्यक्रमों को आदान-प्रदान करेंगे।कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय द्वारा जल्द ही गीता ज्ञान पर आधारित एक ऑनलाईन सर्टिफिकेट प्रोग्राम शुरू किया जाएगा जिसमें विश्व का किसी भी आयु का व्यक्ति प्रवेश पाकर गीता ज्ञान को प्राप्त कर सकेगा। यह प्रोग्राम युवा विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास न केवल उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा अपितु सामाजिक विकास में भी भूमिका निभाएगा। इस प्रकार के प्रयास युवा पीढ़ी को समृद्ध संस्कृति और विचार धारा से जोड़ कर रखने के लिए भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों से सुसंस्कृत युवा वर्ग ही समृद्ध समाज और राष्ट्र के निर्माण अपना अहम योगदान दे सकता है। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रन्थों में से एक है। श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में शामिल है।
इस्कॉन कुरुक्षेत्र के वाइस प्रेजिडेंट मोहन गौरचन्द्र दास ने कहा इस एमओयू के माध्यम से सम्पूर्ण गीता का ज्ञान देने के लिए इस्कॉन से विद्वान तथा व्याख्यान देने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय आएंगे और तकनीकी सहायता सांझा की जाएगी। उन्होंने कहा कि भले ही गीता का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था, लेकिन अर्जुन के माध्यम से ही उन्होंने संपूर्ण जगत को यह ज्ञान दिया था।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. मंजुला चौधरी, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. एआर चौधरी, प्रो. आरके देसवाल, प्रो. अरविन्द मलिक, प्रो. अनिता दुआ, प्रो. संजीव गुप्ता, प्रो. जसविन्द्र एवं डॉ. रामचन्द्र सहित इस्कॉन कुरुक्षेत्र से अन्य लोग मौजूद थे।