महाराजा अग्रसेन त्याग, अहिंसा तथा समाजवाद के प्रतीक : राजेश सिंगला

महाराजा अग्रसेन त्याग, अहिंसा तथा समाजवाद के प्रतीक : राजेश सिंगला।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

महाराजा अग्रसेन ने ही सबसे पहले भारत में अहिंसा और समाजवाद की नींव रखी।

कुरुक्षेत्र, 24 सितम्बर : अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश महासचिव राजेश सिंगला ने कहा कि महाराजा अग्रसेन ने ही सबसे पहले भारत में अहिंसा और समाजवाद की नींव रखी। एक ईंट और एक मुद्रा के नियम का प्रतिपादन कर उन्होंने आपसी भाईचारे और समानता की नई मिसाल कायम की। उन्होंने कहा कि आज पूरे भारतवासियों को उनके बताए हुए आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। सिंगला ने कहा कि अग्रवाल समाज पिछले 5100 सालों से भी अधिक समय से भारत के सबसे सम्मानित उद्यमी वर्ग में से एक रहा है। अग्रवाल समाज के लोग महाराजा अग्रसेन  के वंशज हैं और उनके द्वारा स्थापित अग्रोहा राज्य के मूल निवासी हैं। इसलिए अग्रवाल केवल एक समाज ही नहीं है, बल्कि एक परिवार हैं। सिंगला ने बताया कि सूर्यवंशी महाराजा अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था। वे प्रताप नगर के महाराजा वल्लभ और रानी भागमती देवी के ज्येष्ठ पुत्र और महाराजा महिन्दर के पोते थे। वे भगवान कृष्ण के दादा राजा शूरसेन के बड़े भाई थे। राजकुमार अग्रसेन ने नागवंश राजा कुमुद की बेटी, राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में भाग लिया। राजकुमारी माधवी ने शुभ माला डाल कर उन्हे अपना पति स्वीकार किया। एक पड़ोसी राजा राजकुमारी माधवी से शादी करना चाहता था। उस को राजकुमार अग्रसेन से जलन हो गई और बदला लेने के लिए उसने प्रतापनगर को घेर लिया। नतीजतन, प्रताप नगर के निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। महाराज अग्रसेन ने धर्मयुद्ध छेड़ कर दुश्मन की सेना को पराजित किया। सिंगला ने बताया कि दीर्घकालीन शांति सुनिश्चित करने हेतु महाराजा अग्रसेन ने देवी महालक्ष्मी की आराधना की जिससे वे एक नये राज्य स्थापित करने और हथियार छोड़कर अपने राज्य के लोगों की समृद्धि हेतु व्यापार की परंपरा शुरू करने के लिए प्रेरित हुए। लक्ष्मी जी ने उनके वंशज और नये राज्य की प्रजा को समृद्ध होने का आशीर्वाद दिया। इतिहास के अनुसार महाराजा अग्रसेन ने नए राज्य का स्थान चयन करने के लिए अपनी रानी के साथ पूरे भारत का भ्रमण किया। उन्होंने अग्रोहा क्षेत्र में कुछ बाघ शावकों को भेड़िया शावकों  के साथ मस्ती से खेलते हुए देखा। इसे वीर भूमि का शुभ संकेत मान कर उन्होंने वहाँ नए राज्य की स्थापना की। सिंगला ने बताया कि महालक्ष्मी के आशीर्वाद से महाराजा अग्रसेन ने महाभारत के युद्ध से करीब 51 साल पहले अग्रोहा में एक बहुत समृद्ध और विकसित राज्य का निर्माण किया। महाराजा अग्रसेन के राज्य का महाभारत में भी उल्लेख मिलता है। महाराज अग्रसेन ने राज्य को हिमालय, पंजाब, यमुना की तराई, और मेवाड़ क्षेत्र तक बढ़ाया। आगरा राज्य के दक्षिणी भाग का एक प्रमुख व्यापारिक स्थान था। गुड़गांव (जहाँ अग्रवाल समुदाय की देवी माँ प्रतिष्ठित है), मेरठ, रोहतक, हांसी, पानीपत, करनाल , कोट कांगड़ा (जहाँ अग्रवालो की कुलदेवी कोट स्थित है) मंडी, बिलासपुर, गढ़वाल, नारनौल राज्य के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों थे। अग्रोहा शहर राज्य की राजधानी थी। सिंगला ने बताया कि महाराजा अग्रसेन ने सदा अहिंसा  धर्म का पालन किया और उन्होंने यज्ञ में पशुओं को वध करने से इनकार किया। महाराज अग्रसेन के ज्येष्ठ पुत्र वीभु थे। महाराज ने 18 महा यज्ञों का आयोजन किया। उसके बाद उन्होंने अपने 18 बच्चों के बीच अपने राज्य को विभाजित किया। है अपने प्रत्येक बच्चों के गुरु के नाम से 18 गोत्र की स्थापना की। आज ये 18 गोत्र एक दूसरे से अलग हैं, फिर भी सभी गोत्र संयुक्त है और एक दूसरे से संबंधित हैं। महाराजा अग्रसेन के भगवा ध्वज अहिंसा और सूर्य का प्रतीक है। महाराजा अग्रसेन को अहिंसा, शांति के दूत, त्याग, करुणा, दान और समृद्धि के प्रतीक रूप में जाना जाता है। वे न केवल एक राजा थे बल्कि दलितों के उत्थान के एक नेता भी थे। उन्होंने अपने राज्य के सभी निवासियों की समृद्धि की कामना की। उन्होंने समाज में समानता सुनिश्चित करने के क्रम में एक अद्वितीय नियम बनाया। उन्होंने कहा कि स्थायी रूप से बसने के लिए अग्रोहा में आने वाले हर व्यक्ति को अग्रोहा का प्रत्येक निवासी एक रुपया और एक ईंट देगा।  उन ईंटों के साथ एक घर का निर्माण किया जा सकता था और पैसे के साथ वो व्यक्ति खुद का व्यवसाय स्थापित कर लेता था। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति दूसरों की मदद से समाज में एक बराबरी का दर्जा हासिल कर लेता था। महाराजा अग्रसेन के अनुसार अहिंसा का मतलब ये नहीं की हम दमन का प्रतिरोध भी नहीं करे। उन्होंने ने बहादुरी और आत्मरक्षा को बढ़ावा दिया। उनके अनुसार आत्म सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा केवल सैनिकों का नहीं अपितु प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
महाराजा अग्रसेन।

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