पानी के गिरते भूजल स्तर से मानव जीवन के अस्तित्व को लग सकता है ग्रहण : डा. सी. बी. सिंह।
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कृषि वैज्ञानिक चिंतित, लगातार भू जल दोहन से सुख रही है धरती की कोख।
कुरुक्षेत्र, 26 सितम्बर : कुरुक्षेत्र जिला का गेहूं एवं चावल उत्पादन में प्रमुख स्थान है। लेकिन कुरुक्षेत्र ही नहीं हरियाणा कई जिलों में काफी धान की खेती होती है। कृषि वैज्ञानिक चिंतित हैं कि लगातार राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार भू जल स्तर गिर रहा है। ऐसे में लगातार हो रहे भू जल दोहन से धरती की कोख भी सुख रही है। हालांकि राज्य सरकार एवं कृषि विभाग द्वारा धरती में पानी के गिरते भूजल स्तर को लेकर किसानों एवं आमजन को बार बार जागरूक किया जाता है। साथ ही लोगों को सचेत करने के लिए अभियान चलाए जाते है। कुरुक्षेत्र में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह ने कहा कि धान की फसल के लिए अन्य फसलों की अपेक्षा बहुत अधिक मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है। जिस की पूर्ति किसान अपने खेतों में लगे मोटर चलित ट्यूबवैल से करता है। उन्होंने बताया कि 15 जून से होने वाली धान की खेती के लिए लगातार चलने वाले खेतों में ट्यूबवेल हर दिन घंटो धरती की कोख से पानी उगलते हैं। साथ ही भारी मात्रा में बिजली की खपत होती है। धान की खेती के लिए खेतों में ट्यूबवेल अक्टूबर के मध्य तक चलते रहते है। डा. सिंह ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार धान की खेती के लिए करीब 100 से 125 दिन तक लगातार ट्यूबवेल से इस तरह भू जल दोहन होता है। इस कारण धरती का भू जल स्तर काफी नीचे चला गया है। डा. सिंह ने इस के लिए बीते वर्षों के अनुसार भू जल स्तर के आंकड़ों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि गिरते भू जल स्तर की स्थिति से भविष्य के लिए कोई अच्छे संकेत नही हैं। अगर इस तरह लगातार भू जल दोहन होता रहा तो गंभीर समस्या खड़ी होगी। इतना ही नही इस प्रकार हो रही पानी की कमी से मानव जीवन के अस्तित्व भी खतरा है। इसलिए समय रहते लोगों को जागरूक होकर जल संरक्षण करना होगा। हमारी प्रकृति की धरोहर पानी को न बचाया तो निश्चित रूप से पानी के अभाव में मानव का अस्तित्व भी नही बच पाएगा।
खेत में ट्यूबवेल एवं जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह।