लायलपुर बस्ती मंदिर में गूंजे मां के जयकारे, मां कुष्मांडा की हुई पूजा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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दुर्गा माता के मां कुष्मांडा स्वरूप और पूजा का महत्व बताया।
कुरुक्षेत्र, 29 सितम्बर : नवरात्र महोत्सव के चलते लायलपुर बस्ती में मंदिर में मां की भक्ति में डूबे भक्तों की मस्ती देखते ही बनती है। नवरात्रों के चौथे दिन मंदिर में मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना हुई। पुजारी प. रमेश अवस्थी ने चौथे दिन मां कुष्मांडा के स्वरूप और पूजा का महत्व श्रद्धालुओं को बताया। उन्होंने बताया कि मां भगवती के देवी कुष्मांडा स्वरूप में सूर्य के समान तेज है और इस तेज की चमक से पूरा ब्रह्मांड जगमगा सकता है। उन्होंने बताया कि आठ भुजाओं वाली मां कुष्मांडा कमंडल, धनुष, अमृत कलश, जपने माला, गदा और चक्र सहित अन्य सामग्रियां के साथ रहती हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से जातक को सूर्य सा तेज मिलता है, यश की प्राप्ति होती है तथा कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। प. अवस्थी के अनुसार आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्ट भुजाओं वाली माता भी कहा जाता है। इन्हें लाल रंग के फूल काफी पसंद होते हैं। उन्होंने बताया कि देवी सिद्धिदात्री का रूप लेने के बाद मां पार्वती सूर्य के केंद्र में जाकर विराजमान हो गई और वहां से संसार को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने लगी। तब से ही देवी माता को कूष्मांडा के रूप में माना जाने लगा है। मंदिर सायं काल संकीर्तन में मां की भेंट भक्ति भाव गायी गई और उसके बाद आरती हुई। इस अवसर पर मदन लाल तनेजा, जगमाल, पूर्व पार्षद कमलेश वधवा, मोहित भूटानी, उषा, रिया, सावित्री, सोनू अरोड़ा, पंकज वधवा, निशा, कांता रानी, कमल, मन्नत, मान्या, रिंकू व गंजे लाल इत्यादि भी मौजूद थे।
लायलपुर बस्ती मंदिर में भजन संकीर्तन करते हुए श्रद्धालु।