गौ आधारित प्राकृतिक खेती सर्वोत्तम – डॉ कनौजिया
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कन्नौज। कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी कन्नौज द्वारा गंगा नदी क्षेत्र में ग्राम पंचायत कन्नौज कछोहा में प्राकृतिक खेती एवम जल संरक्षण विषय पर कृषकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डॉ वी के कनौजिया वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम अध्यक्ष ने कृषकों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि देशी गाय के गोबर व गौमूत्र तथा वेशन गुड व वटवृक्ष के नीचे की 100 ग्रा मिट्टी भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर पौधो के आवश्यक पोषक तत्वों को उपलब्ध कराती हैं। जो कि रासायनिक खेती के बराबर बिना किसी खास लागत के अच्छी उपज देती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह सर्वोत्तम खेती के रूप में जानी जाएगी। इस अवसर पर डॉ विनोद कुमार वैज्ञानिक सस्य ने प्राकृतिक खेती लिए बीजों के उपचार हेतु बीजामृत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 100 किलो बीज शोधन के लिए 5 किलो देशी गाय का गोबर, 5 लीटर गौमूत्र 50 ग्रा चूना एक मुट्ठी वटवृक्ष के नीचे की मिट्टी को 20 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे छायादार स्थान पर रखें और दिन में दो बार घड़ी की दिशा में डंडे की सहायता से चलाएं। तत्पश्चात छानकर अवस्यक्तानुसार मात्रा से 100 बीज को उपचारित कर ले। इस प्रकार उपचारित बीज से फफूंद जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। डा कुमार ने बताया जीवामृत सूक्ष्म जीवाणुओं का महाकुंभ है। जो पौधों को पोषक तत्व भूमि से उपलब्ध कराता है। इसे 20 लीटर गौमूत्र, 100 किलो गोबर, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेशन, 100 ग्राम चूना व 1 मुट्ठी वटवृक्ष के नीचे की मिट्टी को मिलाकर फर्श पर प्लास्टिक शीट बिछाकर सुखाकर एक एकड़ क्षेत्रफल में जुताई के समय मिलाया जा सकता है। वहीं खड़ी फसल में घंजीवामृत देने के लिए 20 किलो प्रति बीघा की दर से सुबह शाम खड़ी फसल को दिया जा सकता है। इस कार्यक्रम में शामिल केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अमरेंद्र यादव ने मौसम अनुरूप कृषि क्रियाओं को करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि आलू की फसल में पाला से बचाव हेतु 2 किलो प्रति बीघा की दर सल्फर का छिड़काव करें। गेहूं की फसल की वोवाई का समय शुरू हो रहा है इसके एच डी 2967 या एच डी 3086 या माही आदि की बोवाई 9 किलो बीज दर से करके भरपूर गेहूं की फसल पैदा की जा सकती है। इस अवसर पर राकेश कटियार सदानंद, हरी नारायण, रूपसिंह आदि सैकड़ा भर महिला और पुरुष किसानों ने प्रशिक्षण का लाभ उठाया।