मधुमेह से बचाव के लिए दिनचर्या में बदलाव जरूरी : डा. आशीष अनेजा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : एडमिनिस्ट्रेटर, गैपियो सदस्य, आर एस एस डी आई मेंबर एवं मेडिकल ऑफिसर, डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा डायबिटीज दिवस जो कि 14 नवंबर को मनाया जाता है के अवसर पर लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि आज के समय में डायबिटीज होना बहुत आम बात है। जिस तरह का आजकल लाइफस्टाइल हो गया है उसमें डायबिटीज बहुत तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। स्थिति यह है कि न सिर्फ अधिक उम्र के लोगों को बल्कि आज के समय में युवा और बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। यह एक ऐसा खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। एक बार यह बीमारी होने पर जीवनभर इसका साथ रहता है। ब्लड शुगर बढ़ने से यह बीमारी होती है और इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं करता है। यानी इसमें कई तरह की समस्याओं से सामना भी होता है। अगर इसको नजरअंदाज किया जाये तो शरीर के दूसरे अंग निष्क्रिय हो सकते हैं। डायबिटीज कैसे होती है।
डायबिटीज के कारण क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है आदि जैसे सवालों के बीच में आप फंसे रहते हैं और आपको सही जवाब नहीं मिल पाता है।
जब शरीर सही तरीके से रक्त में मौजूद ग्लूकोज़ या शुगर का उपयोग नहीं कर पाता। तब, व्यक्ति को डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। आमतौर पर डायबिटीज के मुख्य कारण ये स्थितियां हो सकती हैं-इंसुलिन की कमी, परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज़ होना, बढ़ती उम्र हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, एक्सरसाइज ना करने की आदत, हार्मोन्स का असंतुलन, हाई ब्लड प्रेशर, खान-पान की ग़लत आदतें इत्यादि।मधुमेह के लक्षण में शामिल है जैसे-बहुत ज्यादा और बार बार प्यास लगना, बार बार पेशाब आना, लगातार भूख लगना, दृष्टी धुंधली होना, प्यास में वृद्धि, अत्यधिक भूख, अनायास वजन कम होना, चिड़चिड़ापन, अकारण थकावट महसूस होना, अकारण वजन कम होना, घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना, बार बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना, खुजली या त्वचा रोग, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना इत्यादि। डायबिटीज़ के निदान के लिए इस प्रकार के कुछ टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है – ए 1 सी टेस्ट इस प्रकार का टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ के लिए किया जाता है। जिसमें, मरीज़ को हर 3 महीने में एक बार ब्लड टेस्ट कराना होता है और उसका एवरेज ब्लड ग्लूकोज़ लेवल जांचा जाता है। ए1सी टेस्ट में 5 से 10 तक के अंकों में ब्लड में ग्लूकोज़ का स्तर मापा जाता है। अगर टेस्ट रिपोर्ट में 5.7 से नीचे का आंकड़ा दिखाया जाता है तो वह नॉर्मल होता है। लेकिन अगर किसी का ए1सी लेवल 6.5% से अधिक दिखायी पड़ता है तो वह, डायबिटीज़ का मरीज़ कहलाता है। फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट हाई ब्लड शुगर की स्थिति को समझने के लिए यह सबसे आम ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को खाली पेट रहते हुए ब्लड सैम्पल देना पड़ता है। जिसके लिए 10-12 घंटों तक भूखे रहने के लिए कहा जाता है। उसके बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट इस टेस्ट में भी खाली पेट रहते ही ब्लड सैम्पल लिया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है। आगे डॉ. अनेजा ने बताया कि यह बीमारी दवाइयों की अपेक्षा पर है और कुछ हिदायतें बरतने व सावधानियां रखने से ठीक हो जाती है जैसे – मीठा कम खाएं, शक्कर से भरी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने से बचें एक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें, सुबह-शाम टहलने जाएं, पानी ज़्यादा पीएं। मीठे शर्बत और सोडा वाले ड्रिंक्स पीने से बचें। आइसक्रीम, कैंडीज़ खाने से भी परहेज करें। वजन घटाएं और नियंत्रण में रखें। स्मोकिंग और अल्कोहल लेने से परहेज करें। हाई फाइबर डायट खाएं, प्रोटीन का सेवन भी अधिक मात्रा में करें तथा शरीर में विटामिन डी की कमी ना होने दें।