धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण के संकल्प के साथ पूर्ण हुआ मां बगलामुखी व महादेव महायज्ञ।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
राष्ट्र एक शरीर है व धर्म उसकी आत्मा हैं : महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी।
कुरुक्षेत्र, 13 नवम्बर : धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम वध्यपीठ में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज के मार्गदर्शन व महंत राजेंद्र पूरी की अध्यक्षता में चल रहा 5 दिवसीय मां बगलामुखी व महादेव महायज्ञ एवं 2 दिवसीय श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानयज्ञ रविवार को सनातन वैदिक राष्ट्र के संकल्प के साथ पूर्ण हो गया। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद कुरुक्षेत्र की टीम ने आयोजन स्थल पर आकर कार्यक्रम के आयोजकों जग ज्योति दरबार के सेवको और साधु संतों का सम्मान किया। यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि हिंदुओं को समझना चाहिए कि राष्ट्र एक शरीर है और धर्म उसकी आत्मा है।जैसे धर्म विहीन राष्ट्र मृत होता है, वैसे ही राष्ट्र विहीन धर्म का भी कोई अस्तित्व नहीं होता है। इस बात को हर हिन्दू समझ ले कि सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण के बिना अब सनातन धर्म का कोई भविष्य नहीं है। अगर हिन्दुओ की यह अंतिम शरणस्थली भी उनसे छीन गई तो हिन्दुओ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इस लिए अब हिन्दुओं को यहूदियों से शिक्षा लेकर इजरायल की तरह अपना एक सनातन वैदिक राष्ट्र बनाना चाहिए। जहाँ एक भी जिहादी ना हो और एक भी जिहाद का अड्डा ना हो। उन्होंने मां बगलामुखी और महादेव से हिन्दुओं को इस महान लक्ष्य के लिए सद्बुद्धि और सामर्थ्य देने की प्रार्थना की। रविवार के श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानयज्ञ में भक्तगणों को सम्बोधित करते हुए कार्ष्णि स्वामी अमृतानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हमें बताती है कि धर्म और अधर्म की लड़ाई शाश्वत है। परन्तु धर्म कभी भी अधर्म से पराजित नही हो सकता है। दुष्ट राक्षस जब मानवता पर अत्याचार करते हैं तो वो परमपिता परमात्मा की सर्वव्यापी और सार्वभौमिक सत्ता को भूल जाते हैं और अपने स्वार्थ,क्रूरता और अहंकार के वशीभूत होकर महाविनाश को आमंत्रित करते हैं। इसीलिए सनातन के मानने वालों को अपने सब संशय त्याग कर धर्म की रक्षा के लिये सब कुछ बलिदान करने के लिये तैयार रहना ही चाहिए। कार्यक्रम का संचालन यति सत्यदेवानंद महाराज ने किया। कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज सहित अनेक संत विद्वानों ने श्रीमद्भगवद्गीता पर अपने विचार रखे। समापन के इस अवसर पर लाभ सिंह मास्टर, कार्तिक कुकरेजा, राज कुमार पांचाल, सोमदत्त कपूर, कुलदीप देवीदास पूरा, बलकार डेरा बस्सी, मंदीप धीमान, पंकज राजपूत, इत्यादि उपस्थिति थे।
महायज्ञ के समापन अवसर पर संत महापुरुष एवं संत सम्मान करते हुए।