किसान स्वयं कर सकते है बीज उत्पादन – डॉ विनोद कुमार
✍️ जलालाबाद कन्नौज से डॉक्टर मतीउल्लाह
अक्सर किसान बीज के लिए यहां वहां परेशान होने के साथ साथ ऊंची दरों पर बीज खरीदने को विवश होते हैं। इससे बचाने के लिए ही कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी कन्नौज के सस्य वैज्ञानिक डॉ बिनोद कुमार ने गेहूं के बीज उत्पादन के गुर युवा किसानों को सिखाए। इस दौरान आयोजित प्रशिक्षण में उन्होंने गेहूं की समय से बोई जा रही प्रजातियों एच डी 2967, एच डी 3086, माही, शताब्दी, उन्नत 343 आदि की बुवाई जबकि कच्चा आलू खोद कर पछेती बुवाई हेतु डीबीडब्ल्यू 107, मालवीय 234 वहीं अति विलंब अर्थात जनवरी में बुवाई की दशा में हलना या उन्नत हलना प्रजातियों की बुवाई की सिफारिश की। जबकि ऊसर भूमियों हेतु राज 3765, के 8434, के आर एल 210 , के आर एल 213 आदि की बुवाई उत्तम बताई। अभी बुवाई के लिए आधारीय या प्रमाणित बीज की 9 किलो प्रति बीघा से ज्यादा बीज से बुवाई करना उचित बताया। जिसके बीज शोधन के लिए बीजामृत अथवा कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से शोधित करके ही बुवाई की सिफारिश की। डॉ विनोद ने बताया कि बीज उत्पादन के लिए एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति के बीच 3 मीटर की विगलन दूरी अवस्य रखी जाए। जिसका पंजीकरण राजकीय बीज प्रमाणीकरण संस्था रावतपुर कानपुर से कराकर ही उत्पादित गेहूं को बीज की मान्यता मिलती है। वर्तमान में गेहूं बीज विस्थापन दर 35-45% ही है अर्थात अभी भी बीज उत्पादन कर बिक्री करने से रोजगार अर्जन करने की अपार संभावनाएं मौजूद है। इस अवसर पर पशुपालन वैज्ञानिक डा चंद्र केश राय ने गेहूं की प्राकृतिक खेती करने पर विशेष जोर दिया। वहीं केंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वी के कनौजिया ने प्रशिक्षित युवाओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर प्रगतिशील किसान श्री सर्वदीप सिंह, श्री राम नारायण, श्री राहुल सिंह, श्री राकेश कुमार सहित दो दर्जन किसानों से प्रशिक्षण का लाभ उठा बीज उत्पादन का संकल्प लिया। धन्यवाद ज्ञापन जमला के प्रगतिशील किसान श्री राकेश कुमार ने किया।