सही समय पर इलाज से निमोनिया से बचाव संभव:डा.सुरेश यादव
✍️ कन्नौज रिपोर्टर प्रशांत त्रिवेदी
कन्नौज। निमोनिया से ज़्यादातर छोटे बच्चे ग्रसित होते हैं। हालांकि, ये बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। निमोनिया में फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये गंभीर होने के साथ जानलेवा भी हो सकती है। डा.यादव ने बताया कि सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है । इस मौसम में बच्चों के निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है । इस मौसम में सर्दी जुकाम आम है लेकिन यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रही तो निमोनिया हो सकता है। उन्होंने निमोनिया एक संक्रामक रोग है। इस स्थिति में फेफड़े में कफ या वलगम इकट्ठा हो जाता है । कभी-कभी ये खतरनाक स्थिति में पहुंच जाती हैं। इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है। सर्दी के मौसम में शिशुओं को निमोनिया का ख़तरा अधिक होता है। इसलिए इस मौसम में शिशुओं को ठंड से बचाना चाहिए। इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को लगवाना चाहिए।
बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चों को पीसीबी के टीके ढ़ेड माह, ढ़ाई माह, साढ़े तीन माह व 18 से 24 माह के अन्दर लगाया जाता है। जिला अस्पताल में तैनात फिजिशियन डा.सलमान सिद्दीकी ने बताया कि बुजुर्गों पर कई बीमारियाँ तेजी से हमला करती हैं। उनमें से एक है निमोनिया। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि इस अवस्था में शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में किसी भी संक्रमण बीमारी का आक्रमण झेलने में असमर्थ शरीर आसानी से बीमार हो जाता है। ऐसे समय में पौष्टिक खाना लें, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़े।
अगर शरीर में अन्य कोई बीमारी जैसे डायबिटीज,लीवर संबंधित समस्या या कोई अन्य गंभीर बीमारी हो तो समय-समय पर अपने चिकित्सक से परामर्श करें इसके अलावा कोई भी नया लक्षण नजर आए तो तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करें। जिला अस्पताल में निमोनिया संक्रमण से ग्रसित डेढ़ माह के ज्ञान की मां मानसी बताती है कि मेरे बच्चे को बुखार, खांसी,जुकाम और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इसके साथ ही सीने पर हाथ रखने पर घड़घड़ाहट की आवाज महसूस हो रही थी। मैंने तीन दिन पहले जिला अस्पताल आकर चिकित्सक को दिखाया। परीक्षण में पता चला कि उसे निमोनिया है। बच्चे की स्थिति देखकर उसे भर्ती कर इलाज शुरू किया।अब मैं खुश हूं। मैं उसकी हालत में काफी सुधार देख रही हूं। बच्चों में निमोनिया के संकेत
सात दिनों से अधिक समय तक चलने वाली खांसी , हल्का बुखार , सिरदर्द
ठंड लगना या शरीर में दर्द
भूख की कमी , छाती या पसली का दर्द सांस लेने में दिक्कत
निमोनिया के लक्षण छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण बड़ों से अलग होते हैं।
- सांस लेने में तकलीफ होना
-बच्चों का अधिक रोना,ठीक से दूध नहीं पीना एवं खाना नहीं खाना - उल्टी होना
- निमोनिया के लक्षण गंभीर होने पर बच्चा बेहोश व सुस्त हो सकता है।
- बलगम वाली खांसी, कंपकपी वाला बुखार, सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना, सीने में दर्द या बेचैनी, भूख कम लगना, खांसी में खून आना, कम रक्तचाप
बचाव के लिए रखें इन चीजों का ध्यान
- पीसीवी टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम् भूमिका अदा करता है।
- बच्चों की साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें
- बच्चों के खान-पान का विशेष ख्याल रखें
- छोटे बच्चों को मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए, यदि मां बीमार हो या बुखार हो बच्चों को दूध नहीं पिलाना चाहिए
- रात में एक बार जरूर चेक कर लेना चाहिए कि बच्चे ने कपड़े भिगो तो नहीं दिए हैं ।
- बच्चों को जब भी कोई समस्या हो तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लें, बिना किसी डॉक्टर के परामर्श के बच्चों को कोई दवा नहीं देनी चाहिए।