प्राकृतिक खेती स्वस्थ जीवन का आधार -डॉ वी के कनौजिया
✍️ जलालाबाद कन्नौज रिपोर्टर मतीउल्लाह
कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी कन्नौज पर दो दिवसीय तकनीकी कृषक प्रशिक्षण आज से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वी के कनौजिया ने बताया कि प्राकृतिक खेती जहर फ्री भोजन सुनिश्चित करने का मुख्य साधन है। प्राकृतिक खेती के आयाम जैविक खेती से पूरी तरह भिन्न है। प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले आदानों की विस्तृत जानकारी देते हुए केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ बिनोद कुमार ने बताया कि प्रकृति आधारित खेती में बीजशोधन के लिए बीजामृत का प्रयोग कर पौध और बीज को जड़ सड़न सहित अन्य बीमारियों का निदान किया जाता है। वहीं खाद के रूप में घन जीवामृत का प्रयोग १०० किलो प्रति एकड़ की दर से वोवाई से पहले और २० किलो टॉप ड्रेसिंग के रूप में किया जाता है। जबकि जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए जीवामृत का प्रयोग करने की व्यवस्था प्राकृतिक खेती में है। कार्यक्रम में केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ अरविंद कुमार ने प्राकृतिक खेती में कीड़े मकोड़ों से फसल सुरक्षा हेतु नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, फफूंदी नाशक, दशपर्णी अर्क आदि की विस्तृत जानकारी दी। डा अरविंद कुमार ने बताया कि लगातार घटती मृदा उर्वरता में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए प्राकृतिक खेती के आयाम कारगर हैं। वहीं खरपतवार नियंत्रण हेतु उद्यानिक फसलों में आच्छादन की जानकारी उद्यान वैज्ञानिक डॉ अमर सिंह ने दी। वहीं प्राकृतिक गृह वाटिका के निर्माण हेतु केंद्र की गृह वैज्ञानिक श्रीमती चंद्रकला यादव ने विधिवत जानकारी दी। इस अवसर पर श्री केपी सिंह, श्री राकेश कटियार, श्री भगवान दीन, श्री राहुल सिंह, श्री देवेन्द्र सिंह श्री मती अनीता देवी आदि सहित दर्जनों किसानों ने विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया।