किसानों को है कड़ाके की ठंड का इंतजार, फसलें होंगी प्रभावित।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कृषि वैज्ञानिक तथा विधायक के बीच हुई मौसम को लेकर चर्चा।
कुरुक्षेत्र का अधिकतम तापमान 23 डिग्री तथा न्यूनतम 7 डिग्री
किसानों को गेहूं की फसल को लेकर है चिंता।
कुरुक्षेत्र, 17 दिसम्बर : चाहे सर्दी का मौसम शुरू हो गया है लेकिन कुरुक्षेत्र जिला के किसानों को अभी भी कड़ाके की ठंड का इंतजार है। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर का आधे से अधिक महीना बीत चुका है। मौसम की स्थिति को लेकर वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह से कुरुक्षेत्र के थानेसर हल्का विधायक सुभाष सुधा ने बातचीत की। डा. सी. बी. सिंह ने विधायक को बताया कि अभी वातावरण में नमी की कमी देखी जा रही है। हालांकि बीते दिनों में न्यूनतम तापमान थोड़ी कमी आई है परन्तु कृषि विशेषज्ञों के अनुसार तापमान एवं वातावरण में नमी को अनुकूल नहीं मान रहे हैं। साल की विदाई होने वाली है और दिसम्बर महीना भी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अब तक किसानों को कड़ाके की ठंड का इंतजार है। कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह के अनुसार इन दिनों रबी की फसलों में नमी कम होने से किसानों को खेतों में सिंचाई तक करनी पड़ रही है। दिन-रात के तापमान में पर्याप्त कमी नहीं होने से सर्दी की रौनक नहीं लौट रही है। इससे ना केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि फसल की बढ़वार व पैदावार पर भी असर पड़ेगा। डा. सी. बी. सिंह के अनुसार ठंड के लिहाज से दिसम्बर महीना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इस महीने में मौसम के तेवर बदले हुए हैं। वर्तमान तापमान फसल के लिए खतरा बनता जा रहा है।
सबसे अधिक गेहूं की फसल होगी प्रभावित
डा. सी. बी. सिंह ने कहा कि गेहूं की पिछेती बिजाई प्रभावित हुई है। कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ने से सबसे ज्यादा गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ेगा। गेहूं की बढ़वार प्रभावित होगी और उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ेगा। गेहूं के लिए औसतन तापमान 5 से 15 डिग्री तापमान अनुकूल रहता है, जबकि इन दिनों कुरुक्षेत्र का तापमान अधिकतम 23 व न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस है। इस गर्मी का असर रबी की अन्य फसलों पर भी आएगा।
इसलिए जरूरी है सर्द मौसम कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दियों के मौसम में फसलों की पत्तियों पर जमी ओस से पौधे कुछ मात्रा में पानी अवशोषित करते हैं। हालांकि बड़ी मात्रा में उन्हें जड़ों से पानी मिलता है लेकिन ओस से अवशोषित पानी से पौधों में नमी बनी रहती है। रबी की फसलों का स्वभाव नमी में अच्छी बढ़ोतरी करने का होता है। ऐसे में तेज तापमान होने पर फसलों पर अच्छा असर नहीं पड़ता है। पत्तियां जल्दी मुरझाने लगती है। साथ ही उन पर पीलापन आने लगता है। इससे पैदावार प्रभावित होती है।
कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह विधायक सुभाष सुधा से मौसम की चर्चा करते हुए।