संत रविदास ने भेदभाव और जातिवाद से दूर रहने का हमेशा दिया संदेश : डॉ. बलदेव कुमार।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कुरुक्षेत्र : संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के पावन पर्व के अवसर पर शुक्रवार को श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के प्रांगण में उनके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने समस्त विश्वविद्यालय परिवार को गुरु रविदास जयंती की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी 15 वीं सदी के महान समाज सुधारक, दार्शनिक, कवि तथा अध्यात्मिक विभूति थे। संत रविदास जी का संपूर्ण जीवन समाज के लिए समर्पित था। समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ते हुए, सदैव समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। उनका मानना था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा यानी जिसका मन शुद्ध है, उसके लिए घर में ही सब तीर्थ है। मनुष्य को बाहरी दिखावा करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। कुलसचिव डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि संतों का जीवन हमेशा अनुकरणीय रहा है। संतों के सानिध्य से भगवदत्व की प्राप्ति होती है। ऐसे ही हमारे संत शिरोमणि गुरु रविदास हुए हैं जिन्होंने समाज से जातिवाद और भेदभाव को खत्म करने का अथक प्रयास किया। इस अवसर पर श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने कहा कि संत रविदास को सतगुरु और जगतगुरु की उपाधि प्राप्त है। न केवल देश-प्रदेश बल्कि विश्व में संत रविदास के प्रति आस्था रखने वालों की एक बहुत बड़ी आबादी है। बेहद परोपकारी और दयालु भाव रखने वाले शिरोमणि संत रविदास हमेशा दूसरों की सहायता का स्वभाव और संदेश देते थे। इस अवसर पर डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. मनीष सैनी, डॉ. सतबीर चावला, विकास शर्मा, भूपेंद्र सिंह, और रामनिवास उपस्थित रहे।